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सीतामढ़ी: चुनाव रणनीतिकार से कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने सोमवार को जोर देकर कहा कि बिहार में हालिया उथल-पुथल "राज्य केंद्रित" घटना थी और इससे राष्ट्रव्यापी प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है. उन्होंने हाल ही में जद(यू) के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ सरकार बनाने के घटनाक्रम की ओर इशारा करते हुए यह बात कही.
उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले में पत्रकारों से बात करते हुए किशोर ने यह दावा भी किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नया बागी रुख "राजनीतिक अस्थिरता" का प्रतीक है, जिसका सामना बिहार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में "नयी भाजपा" के उदय के बाद से कर रहा है. किशोर ने चुटकी लेते हुए कहा कि हम केवल एक बात निश्चित रूप से कह सकते हैं कि कुछ भी हो, नीतीश कुमार सत्ता पर काबिज रहेंगे जैसे कि वह इतने वर्षों से करते आ रहे हैं. उल्लेखनीय है कि चार साल पहले किशोर जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हुए थे और कुछ ही सप्ताह में उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था, लेकिन सीएए-एनपीआर-एनआरसी विवाद को लेकर गहरे मतभेद के कारण दो साल से भी कम समय में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था.
किशोर ने दावा किया कि मैं आपको लिखित रूप में बता सकता हूं कि बिहार में वर्ष 2025 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में एक और बदलाव देखने को मिलेगा. हमें नहीं पता कि कौन सी पार्टी या नेता किस तरफ रहेगा. लेकिन मौजूदा परिदृश्य बदलेगा. किशोर ने विपक्षी एकता कायम करने के लिए कुमार की तीन दिवसीय दिल्ली यात्रा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. किशोर ने कहा, "उन्हें बिहार पर शासन करने के लिए जनादेश मिला है और यही उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए. इसके अलावा, यहां जो हुआ है वह एक राज्य पर केंद्रित घटना है, जिसका कोई राष्ट्रव्यापी प्रभाव होने की संभावना नहीं है.

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