नालंदा: हिलसा और करायपरसुराय प्रखंडों के उपभोक्ताओं को बिजली की ट्रिपिंग और लो वोल्टेज की समस्याओं से निजात मिलने वाली है. करायपरसुराय के डियावां तो हिलसा में कोर्ट के पास नया पावर सब स्टेशन (पीएसएस) बनेंगे. टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. एक साल में काम पूरा होगा और नये पीएसएस ने बिजली की आपूर्ति बहाल हो जाएगी तो बड़ी आबादी को राहत मिलेगी. दोनों पीएसएस के निर्माण पर करीब करोड़ खर्च होंगे.
नये पीएसएस के लिए जमीन की तलाश पूरी हो चुकी है. प्रत्येक पीएसएस की क्षमता 10 एमवीए होगी. यानी पांच एमवीए के दो ट्रांसफॉर्मर लगाये जाएंगे. खास यह भी कि घरों के साथ ही कृषि कार्य के लिए अलग-अलग फीडर बनेंगे. हिलसा प्रखंड क्षेत्र में वर्तमान में दो पीएसएस हैं. एक प्रखंड कार्यालय के पास तो दूसरा चिकसौरा में है. कोर्ट के पास नया पीएसएस बनेगा तो पुराने पीएसएस से लोड घटेगा. शहरी इलाके में खासकर गर्मी के दिनों में पिकआवर में ओवरलोडिंग की समस्या खत्म हो जाएगी. वहीं, करायपरसुराय प्रखंड में अभी मात्र एक पीएसएस मकरौता में है. इसी से पूरे प्रखंड को बिजली दी जाती है. डियावां के पास पीएसएस बनने पर मकरौता पीएसएस से लोड घटेगा.
खत्म हो जाएगा ब्रेकडाउन का झमेला: नये पीएसएस के बनने से हिलसा शहर और करायपरसुराय इलाके में ब्रेकडाउन का झमेला खत्म हो जाएगा. प्राय: ऐसा देखा गया है कि किसी कारण से ब्रेकडाउन होने पर कई घंटे फिर से बिजली बहाल होने में लग जाते हैं. अब ऐसा नहीं होगा. कारण, जब नये पीएसएस बन जाएंगे तो ब्रेकडॉन होने पर भी कुछ ही देर में पुन: बिजली रिस्टोर हो जाएगी. लो वोल्टेज की समस्या भी नहीं रहेगी.
हिलसा और डियावां में नये पीएसएस बनाने के लिए जमीन की तलाश कर ली गयी है. टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. उसके बाद निर्माण कार्य शुरू होगा. एक साल में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
राजीव रंजन,
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, बिजली विभाग
जमीन के पेच में अटका भोभी में पीएसएस का निर्माण
नगरनौसा के भोभी में बन रहे पीएसएस (पावर सब स्टेशन) में जमीन का पेच लग गया है. पिछले एक साल निर्माण कार्य पर ब्रेक लगा है. सीओ द्वारा जिस जमीन को सरकारी बताकर एनओसी दिया गया था. उसे कोर्ट का हवाला देकर अस्थायी तौर पर काम को रोक देने को कहा गया है. इस फैसले से काम करने वाली एजेंसी और विभाग पसोपेश में है. इधर, दो साल के इंतजार के बाद नवंबर में चंडी के सीरनावां में पावर सब स्टेशन का निर्माण शुरू हुआ है. उम्मीद है कि छह माह में यहां से बिजली की आपूर्ति बहाल हो जाएगी. इससे चंडी के साथ ही हरनौत के कई गांवों को बिजली मिलेगी.