बिहार

राज्य में पहली बार हवा में तैयार होंगे आलू के बीज

Admin Delhi 1
16 Jun 2023 9:36 AM GMT
राज्य में पहली बार हवा में तैयार होंगे आलू के बीज
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भागलपुर न्यूज़: अबतक खेतों में आलू के बीज तैयार होते थे लेकिन अब यह एयरोपोनिक विधि से हवा में तैयार होंगे. इसे बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के नालंदा उद्यान महाविद्यालय में तैयार किया जायेगा. यहां से तैयार बीज सूबे के विभिन्न जिलों में भेजे जाएंगे. राज्य में पहली बार हवा में बीज को तैयार किया जायेगा.

अभी तक बिहार में पंजाब, हरियाणा आदि जगहों से बीज आते हैं लेकिन यह काफी खर्चीला होता है. इसलिए बीएयू इसे अपने यहां उत्पादन कर किसानों के बीच खेती के लिए उपलब्ध करायेगा. फिलहाल वहां से आने वाले आलू के बीज में कुछ वायरस लग जाते थे जिससे उत्पादन प्रभावित होता था और तीस फीसदी तक फसल का नुक्सान हो जाता था. लेकिन अब बीज उत्पादन की नई विधा से यहां जो बीज तैयार किये जायेंगे वह न सिर्फ बीमारी मुक्त होंगे बल्कि इससे उत्पादन भी अच्छा होगा. एरोपोनिक्स विधि से आलू के बीज को तैयार करने के दौरान पौधे की जड़ हवा में लटकती मिलेंगी. इसके लिए सीमेंट और एल्युमिनियम का एक स्ट्रक्चर तैयार किया जायेगा. इसमें आलू का बीज एक आधार में फंसा होगा और उससे नीचे उसकी जड़ें होंगी जो लटक रही होंगी. वहीं इस पौधे के पत्ते बनाये गये आधार से ऊपर होंगे. इन पौधों की जड़ों में दिन में एक बार पानी का फुहारा देना होगा. बीएयू के कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने बताया कि जिस बीज के लिए अन्य राज्यों पर हमारी निर्भरता थी अब वह न सिर्फ निर्भरता समाप्त हो जायेगी बल्कि रोगमुक्त बीज मिलने से उत्पादन की क्षमता भी 30 फीसदी तक बढ़ सकती है और इससे किसानों को ज्यादा लाभ होगा. यह मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट भी है.

तकनीक:

● एयरोपोनिक विधि से नालंदा में तैयार होंगे आलू के बीज

● इसकी जड़ हवा में होगी, मिट्टी से कोई संपर्क नहीं होगा

● दिन में सिर्फ एक बार देना होगा पानी का छींटा

साढ़े चार करोड़ का है प्रोजेक्ट:

बीएयू के प्रोफेसर डॉ. रंधीर कुमार ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कुल करीब 4.35 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें एक एरोपोनिक यूनिट, एक ग्रीन हाउस चैंबर और एक टिश्यू कल्चर लैब बनेगी. नालंदा उद्यान महाविद्यालय में इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज डॉ. एमडी ओझा ने बताया कि शुरुआत में इसके दस लाख बीज तैयार किये जायेंगे और किसानों को वितरित किया जायेगा और इसके बाद इसके बीज उत्पादन की क्षमता को बढ़ाया जायेगा.

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