पटना | शुक्रवार को विपक्षी दलों की महाबैठक हुई। इस बैठक में 30 से ज्यादा विपक्षी नेता शामिल हुए। वहीं, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने विपक्षी एकता पर कहा कि 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बिहार में 10 सीटों पर लडी़ थी, अब तेजस्वी और नीतीश घोषणा कर दें कि 2024 में कांग्रेस को बिहार में कितने सीटें देंगे? बेवकूफ हैं वो जो कहते हैं कि 1977 में इंदिरा गांधी की हार विपक्ष की एकजुटता से हुई थी।
"प्रेस वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो 10 साल पहले हो जाती"
प्रशांत किशोर ने कहा कि 1977 में लोग बताते हैं कि सारे दल एक हो गए तो इंदिरा जी हार गई। ये बात जितने लोग बता रहे हैं वो बेवकूफ हैं। 1977 से पहले जेपी का नव निर्माण आंदोलन हुआ और जेपी ने आंदोलन किया। जेपी का चेहरा था, इमरजेंसी लागू हुई। सबकुछ हो गया तब जाकर सब दल एक साथ में आए। अगर इतना कुछ नहीं हुआ होता तो क्या सारे दल इंदिरा गांधी को हरा देते? पीके ने कहा कि साथ में बैठकर प्रेस वार्ता करने से विपक्षी एकता अगर होनी होती तो 10 साल पहले हो गई होती। नेताओं के आपस में मिलने से विपक्षी एकता नहीं हो सकती है। मैंने भी इस क्षेत्र में 8 से 10 सालों तक काम किया है। ममता बनर्जी से आप मिले और ममता बनर्जी ने एक स्टेटमेंट जारी किया, आपने एक स्टेटमेंट जारी किया इसका जनता पर क्या असर पड़ा? समाज के लोगों पर क्या असर पड़ा? ऐसा तो नहीं कि ममता बनर्जी ने कांग्रेस को कह दिया कि वो उन्हें पश्चिम बंगाल में लड़ने के लिए जगह दे देगी। कांग्रेस ने भी नहीं कहा कि हम वेस्ट बंगाल छोड़ देंगे ममता बनर्जी के भरोसे। चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि नीतीश कुमार जो विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं वो बिहार का ही फार्मूला जारी कर दें कि कांग्रेस, राजद और जदयू कितने सीटों पर लड़ेगी? महागठबंधन में बाकी अन्य जो सहयोगी दल हैं वो कितने सीट पर लड़ेगी? पहले बिहार में ये फार्मूला जारी कर देंगे इसके बाद आप दूसरे राज्यों में जाएंगे तब जाकर आपको दूसरे दल के लोग आपको गंभीरता से लेंगे। विपक्षी एकता में होता ये है कि हर आदमी कहता है कि मैं अपनी ताकत पर चुनाव लड़ूंगा। दूसरे व्यक्ति को कहता है कि आप आपस में मिल जाएं। उन्होंने कहा कि CPIML का स्ट्राइक रेट बिहार में नीतीश कुमार से ज्यादा है।