मधुबनी: जिले में अब धान की फसल पर कीट-पतंगों का संकट मंडरा गया है. लगातार ये किसान के खेतों में धान की फसल को ये कीट पतंग काट रहा है. नुकसान पहुंचा रहा है. किसान हैरान परेशान हैं. धान की फसल में किसान दवा का भी छिड़काव कर रहे हैं पर उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है. कीट-पतंगों को प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. रहिका प्रखंड क्षेत्र के किसान पंकज कुमार झा ने बताया कि वे अपने खेतों में दो बार कीटनाशक का छिड़काव कर चुके हैं पर कोई फायदा नहीं है. हर दिन धान की फसल को जड़ से कुतरने का सिलसिला जारी है. वहीं कृष्ण कुमार पांडेय ने बताया कि उनके एक एकड़ में लगी धान की फसल में धान को कीट-पतंग कुतर रहे हैं, दवा का भी कोई असर नहीं दिख रहा है. दुकानदारों से भी लक्षण के आधार पर दवा लेकर छिड़काव कर रहे हैं, पर किसी तरह का कोई फायदा नहीं हैं. इसको लेकर किसानों में भी अलग-अलग मत हैं. कुछ किसानों का कहना है कि धान के पौधे को जंगली चूहे कुतर रहे हैं, तो कोई किसान इसे कारण के काटने की बात कर रहे हैं. कई किसानों ने प्रभावित खेतों में लकड़ियों में पुआल बांधकर गाड़ रहे हैं, ताकि रात के उजाले में उसकी छाया देखकर फसल नहीं कुतरे. हालांकि फिलहाल किसानों की कोई तरकीब काम नहीं कर रही है. किसानों का कहना है कि पहले बारिश की कमी की वजह से धान की फसलें कमजोर हुई. अब जब फसलें बेहतर हुईं है तो अब फसल काटने का सिलसिला थम नहीं रहा है.
1.42 लाख हेक्टेयर में लगी है धान
जिले में करीब 1.42 लाख हेक्टेयर में फसल लगी है. किसानों को इसबार रोपनी के लिए अधिक परेशानी उठानी पड़ी. बारिश के अभाव में दमकल और अन्य साधनों को उपयोग कर धनरोपनी पूरी की. कुछ किसान प्रभावित खेतों में मिट्टी तेल व डीजल का भी छिड़काव कर रहे हैं.
कीड़े व चूहे से करें बचाव
कृषि विशेषज्ञ एस रब्बानी ने बताया कि किसानों अपने खेतों में 5 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से इसका छिड़काव करें. इसके गंध से अन्य कीट-पतंग जो फसल को नुकसान पहुंचाता है भाग जाएगा.