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बिहार | बिहार के आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने बताया कि पटना और तिरहुत प्रमंडल के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग नन बैंकिंग फ्रॉड का शिकार सबसे अधिक हुए हैं. ये सभी कम समय में पैसा दोगुना करने की लालच में फंसे हैं. 2011 से सितंबर 2023 तक इससे जुड़े 288 केस दर्ज किए गए. इनमें 106 में चार्जशीट दायर हो चुकी है. 173 में जांच चल रही है. पूर्णिया, दरभंगा व मगध में भी मामले दर्ज हुए हैं.
ईओयू के एडीजी नैय्यर हसनैन खान ने बताया कि करोड़ों रुपये की राशि नन बैंकिंग कंपनियों ने फर्जी नाम-पता के साथ लोगों से ठगा है. ऐसे में अब छोटे-छोटे निवेशकों की पूंजी को फंसने से बचाने को लेकर संस्थागत सेटअप बनाने पर काम चल रहा है. इसके लिए वित्त विभाग से भी अनुरोध किया गया है. दर्ज कांडों की समीक्षा के लिए जिलों में डीएसपी मुख्यालय को नोडल पदाधिकारी मनोनीत किया गया है.
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव से लेकर ईओयू के एडीजी के स्तर पर भी लगातार की जा रही है.
संपत्ति होगी जब्त
एडीजी ने बताया कि 2019 में बने बड्स एक्ट के तहत आरोपी की संपत्ति कुर्क किये जाने का प्रावधान है. बीपीआइडी एक्ट के तहत 166 कांडों में एसडीपीओ या इंस्पेक्टर स्तर के पदाधिकारी को आईओ बनाया गया है.
कंपनियों के खिलाफ जारी अनुसंधान
● स्वर्ण इंडिया मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड बगहा, बेतिया मोतिहारी, मुजफ्फरपुर एवं दरभंगा में 10 कांड दर्ज
● अग्रणी होम्स प्राइवेट लिमिटेड पटना के विभिन्न थानों में 20 से अधिक कांड दर्ज
● इंडस वेयर इंडस्ट्रीज लिमिटेड औरंगाबाद, छपरा, मुजफ्फरपुर, पटना व अरवल में छह कांड
● पीएसीएल इंडिया लिमिटेड पूर्णिया, पटना, छपरा, सीवान में एक-एक कांड
● प्रतिज्ञा हाउसिंग फाइनेंस एंड कंस्ट्रक्शन प्रा लि कटिहार, सुपौल, पूर्णिया, किशनगंज व इओयू में एक-एक कांड
● प्रयाग इंफोटेक लिमिटेड सहरसा, सुपौल व पटना में एक-एक कांड
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Harrison
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