नेपाल में बारिश थमने के बाद गंडक नदी तीन दिनों तक खतरे के निशान से ऊपर रही और अब शुक्रवार को 27 सेमी नीचे आ गई. नदी का जलस्तर कम होने के बाद दियारा के लोगों ने राहत की सांस ली है. हालांकि गंडक नदी के मिजाज को देख जल संसाधन विभाग के अभियंता हाई अलर्ट मोड में हैं. तटबंधों पर निगरानी बढ़ा दी गई है.
गोपालगंज के विशंभरपुर में गंडक नदी बीते रविवार को खतरे के निशान के पार बह रही थी. गुरुवार की शाम 4 बजे 27 सेमी नीचे आ गई. जबकि बाल्मीकि नगर बराज से 48200 क्यूसेक जल डिस्चार्ज किया गया. नदी का जलस्तर नीचे जाने से फिलहाल अभियांताओं को भी राहत मिली है. उधर, जिला प्रशासन ने तटबंधों की सुरक्षा में प्रत्येक वर्ष तैनात रहनेवाले होमगार्ड जवानों को छुट्टी देते हुए स्थानीय मजदूरों को तैनात किया है. मजदूरों की निगरानी का फायदा यह होगा कि बांध पर किसी प्रकार का खतरा होने पर पहले खबर मिलेगी, साथ ही फ्लड फाइटिंग वर्क भी कराना आसान होगा. तीन दिनों तक बढ़े जलस्तर के कारण 12 हजार से अधिक किसानों को क्षति का सामना करना पड़ा है. सब्जी और फल की खेती बार्बद हो चुकी है.
गोताखोर और नाव की व्यवस्था
गंडक नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने नाव और गोताखोर से लेकर शरणस्थली आदि की तैयारी कर ली है. डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने बताया कि जिले में 162 शरणस्थली का चयन किया गया है. जरूरत पड़ने पर 273 कम्युनिटी किचेन, 75 तैराक, 41 गोताखोर के अलावा 54 सरकारी नाव और 87 प्राइवेट नाव का भी इंतजाम किया गया है. आपात स्थिति में राहत व बचाव कार्य में कोई कमी न रहे इसके लिए व्यापक तैयारी की गई है.
तटबंधों पर बचाव सामग्री
अहिरौलीदान से विशुनपुर का तटबंध और पतहरा से बंगराघाट तक कई संवेदनशील प्वांइट हैं. इन जगहों पर बचाव सामग्रियों को जमा करने का काम शुरू हो गया है. बारिश व बाढ़ के दौरान परेशानी न हो इसके लिए जल संसाधन विभाग सैंड बैग, जीओ बैग जैसे बचाव सामग्री जमा कर रहा है. जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता श्रीनिवास प्रसाद ने तटबंधों को पूरी तरह से सुरक्षित बताया है.