बिहार

आवारा कुत्ते के काटने के बाद लोगों को इलाज के लिए आना पड़ता है डीएमसीएच

Admin Delhi 1
24 March 2023 9:04 AM GMT
आवारा कुत्ते के काटने के बाद लोगों को इलाज के लिए आना पड़ता है डीएमसीएच
x

दरभंगा न्यूज़: आवारा कुत्ते के काटने पर दी जाने वाली सीरम जिले के अधिकतर पीएचसी में उपलब्ध नहीं है. इस वजह से घायलों को इंजेक्शन लेने के लिए डीएमसीएच आना पड़ता है. हालांकि राहत की बात यह है कि डीएमसीएच में एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी नहीं है.

बता दें कि पिछले वर्ष करीब आठ हजार लोगों को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बनाया था. इनमें से 5100 लोग इलाज कराने डीएमसीएच के ओपीडी स्थित पीएसएम विभाग पहुंचे थे. बाकी लोगों ने निजी क्लीनिकों और विभिन्न पीएचसी में वैक्सीन की डोज ली थी. आवारा कुत्तों के काटने पर एक

व्यक्ति को अमूमन वैक्सीन की पांच डोज दी जाती है. डीएमसीएच की बात की जाय तो यहां प्रति माह औसतन एंटी रैबीज वैक्सीन की दो हजार वायल खर्च होती है. पिछले साल 5100 सौ लोगों के इलाज में करीब 25, 500 वायल खर्च हुए थे.

बता दें कि पूरे जिले में आवारा कुत्तों का आतंक है. गांव की गलियां हों या शहर के चौक-चौराहे, सड़कों पर कब्जा जमाए आवारा कुत्ते रोज दर्जनों लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं.

आवारा कुत्तों का शिकार होने पर शाम तक वैक्सीन लेने 15 लोग डीएमसीएच ओपीडी स्थित पीएसएम विभाग पहुंचे. इनमें से आधा दर्जन ऐसे लोग थे जिनका जख्म काफी गहरा था. वैक्सीन के अलावा उन्हें सीरम भी दिया गया. जानकारों का अनुमान है कि पीएचसी और निजी चिकित्सकों की संख्या को इसमें जोड़ दिया जाए तो रोज तीन दर्जन से अधिक लोग आवारा कुत्तों का शिकार होते हैं.

डीएमसीएच के ओपीडी में पिछले महीने 565 लोग वैक्सीन लेने पहुंचे. इनमें से दो सौ से अधिक लोगों को रेबीज से बचाव के लिए वैक्सीन के अलावा सीरम भी इंजेक्ट किया गया. कई लोगों का जख्म इतना गहरा पाया गया जिस वजह से चिकित्सकों ने उन्हें एंटीबायोटिक खाने की सलाह भी दी. इस महीने की पहली तारीख से लेकर की शाम तक आवारा कुत्तों का शिकार होकर 385 लोग वैक्सीन और सीरम लेने डीएमसीएच पहुंच चुके हैं.

Next Story
© All Rights Reserved @ 2023 Janta Se Rishta