बिहार
बिचौलिए के माध्यम से दूसरे प्रदेशों और चावल मिलों तक पहुंच रहा पीडीएस का चावल
Shantanu Roy
24 Sep 2022 5:53 PM GMT

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बड़ी खबर
भागलपुर। जनवितरण के माध्यम से राशन कार्डधारकों को मामूली दर तथा मुफ्त में दिया जाने वाला अनाज गरीबों के काम कम आ रहे हैं। जबकि गल्ला व्यवसायी मालामाल हो रहे हैं। जिले के सन्हौला प्रखंड में अनाजों की खरीद बिक्री कराने वाले गल्ला व्यापारियों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी साबित हो रही जनवितरण प्रणाली द्वारा वितरित किया जाने वाला सरकारी अनाज। ताजा मामला जिले के सनोखर थाना क्षेत्र का है। जहां शनिवार को एक साथ करीब 20 क्विंटल चावल बिहार से झारखंड लेकर जाया जा रहा था। सरकारी जूट के बोरे में चावल भरा हुआ था। गल्ला व्यापारी ने बताया कि उस चावल को झारखंड के गोड्डा जिले के नयानगर, हनवारा, सन्हौला आदि में बेचने ले जा रहे हैं।क्षेत्र में धान और मक्का की कटाई के दो तीन माह बाद व्यावहारिक रुप से खरीद बिक्री का काम लगभग ठप्प हो जाता है। लेकिन गल्ला व्यापारियों का धंधा बदस्तूर जारी रहता है। इसकी मुख्य वजह जनवितरण के तहत राशन कार्ड धारकों को मामूली दर पर दिया जाने वाला अनाज है। क्षेत्र के गल्ला व्यापारियों के गोदामों की जांच किया जाय तो ज्यादातर गोदामों में अरवा चावल की बोरी ही मिलेगी।
हालांकि उसना चावल भी सरकार द्वारा डीलरों को उपलब्ध करायी जाती है। जब क्षेत्र में कोई चावल मिल खुले बाजार में पैकिंग चावल बेचने का धंधा नहीं करता है तो गोदामों में जुट के बोरा में भरा चावल आखिरकार आता कहां से है? सूत्रों के अनुसार बारह महीने तक गल्ले की दुकान चलाने वाले व्यापारियों का मुख्य धंधा ही जनवितरण का अनाज है। गल्ला व्यापारियों द्वारा गांव-गांव घूमकर आमलोगों से तथा डीलरों से जन वितरण वाला चावल खरीदा जाता है। चूंकि ज्यादातर ग्रामीण अरवा चावल नहीं खाते हैं। इसका फायदा उठाकर गल्ला व्यापारी उनसे 15-16 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीद लेता हैं। फिर इसे उंची दर पर अन्य शहरों के चावल मिलों को बेच दिया जाता है। जो पुनः नए पैकिंग में खुले बाजार में पॉलिस और बिना पॉलिस के उपलब्ध हो जाता है। कई डीलरों के पास गल्ला व्यापारी तराजू लेकर अनाज वितरण के दौरान बैठा रहता है। अनाज लेकर बाहर निकलते ही कार्डधारक खड़े खड़े अपना चावल बेच देता है। इसके एवज में गल्ला व्यापारियों द्वारा संबंधित डीलरों को अलग से सेवा शुल्क का भुगतान किया जाता है। अनाज देने के दौरान निर्धारित मात्रा में एक से दो किलो तक अनाज भी कम दिया जाता है। कहलगांव एसडीएम मधुकांत ने कहा कि ऐसे लोगों को ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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