नालंदा न्यूज़: सरकार ने भले ही पावापुरी में मेडिकल कॉलेज अस्पताल खोल रखा हो, लेकिन मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया नहीं हो पा रही हैं. पावापुरी भगवान महावीर आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) की सुविधा नहीं मिल रही है. कई रोगियों ने कहा कि अब तक अस्पताल में एमआरआई और इको जांच की शुरुआत तक नहीं हो सकी है. इससे मरीजों में निराशा है. जांच के लिए उन्हें बिहारशरीफ या पटना जाना पड़ रहा है.
मेडिकल कॉलेज में ओपीडी सेवा की शुरुआत 15 जुलाई 2016 को हुई थी. सात साल बाद भी इसकी सुविधा बहाल नहीं होना यहां के प्रशासन व सरकार के लिए एक सवाल बन चुका है. इतने दिन बाद भी अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग में सेटअप बढ़ने की बजाय कम ही होता जा रहा है. एमआरआई जैसी जांच की सुविधा तो दूर, इको जांच भी नहीं हो रही है. जबकि, महीनों पहले इको जांच के लिए मशीन आ चुकी है. टेक्नीशियन नहीं रहने से मशीन धूल फांक रही है.
मस्तिष्क के चोट के साथ न्यूरो से संबंधित बीमारियों के मरीजों के लिए सीटी स्कैन जांच पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. एमआरआई जांच नहीं होने से हर माह न्यूरो से संबंधित मरीज रेफर हो रहे हैं.
ऐसे रोगियों को एमआरआई कराने में ही पांच से छह हजार लग रहे हैं. प्रदेश के दूसरे मेडिकल कॉलेजों में जहां एमआरआई है, वहां इससे काफी कम फीस में यह जांच हो जाती है. यहां की व्यवस्था को देख फिलहाल इसकी जल्द शुरू होने की कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है.
बीमारियों के मौसम में एमआरआई जांच करानेवाले रोगियों की संख्या बढ़ गयी है. अस्पताल में जांच की सुविधा नहीं होने से मरीजों को बहुत ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. इस कारण स्वास्थ्य विभाग में इंतजामों को दुरुस्त करने के दावे धरे के धरे रह जा रहे हैं. इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज के उद्येश्यों पर पानी फिर रहा है.