Patna: राज्य में दुकानों में भी अब नहीं मिल रहीं टीबी की दवाइयां
पटना: राज्य में टीबी मरीज अब एक साथ दोहरी मुसीबत झेल रहे हैं. एक ओर अस्पतालों में उनके लिए जरूरी दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं तो दूसरी ओर निजी मेडिकल दुकानों में भी दवाइयां लगभग सामाप्त हो गई हैं. छोटे शहरों व ग्रामीण इलाके में स्थिति और खराब हो गई है. कुछ जिले दवा खरीद कर तीन से चार दिन का डोज मरीजों को उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन यह उनके लिए नाकाफी है.
टीबी मरीजों को कम से कम छह माह दवा खाना जरूरी होता है. निजी अस्पतालों में ये दवाइयां मिलनी बंद हो गई हैं, सरकारी में कुछ जगहों मिल भी रही है तो सिर्फ तीन-चार दिनों के लिए. दवा दुकानों में भी दवाइयों की उपलब्धता नहीं रहने से मरीज दवा की खरीद भी नहीं कर पा रहे हैं. टीबी की दवाइयों की उपलब्धता थोक से लेकर खुदरा दवा बाजार में भी कम हो गई है. पटना के कई मोहल्लों से लेकर जीएम रोड की कई दुकानों, आसपास के छोटे शहरों बाढ़, मोकामा, बख्तियारपुर आदि शहरों में टीबी की दवा दुकानों पर भी मिलनी मुश्किल हो गई है. दवा नहीं मिलने से मरीजों की बीमारी और गंभीर होने का खतरा बढ़ गया है. टीबी के नए मरीजों की बीमारी बढ़ने का खतरा हो गया है तो दूसरी ओर एमडीआर और डीआर टीबी मरीजों की मुसीबत बढ़ गई है. बीच में दवा का कोर्स छोड़ने से सामान्य टीबी मरीजों का एमडीआर और डीआर टीबी से ग्रसित होने की आशंका बढ़ गई है. बाढ़ से एक दवा विक्रेता शंकर सिंह ने बताया कि पिछले दो-तीन माह से टीबी की दवाइयों की सप्लाई बाधित है. किसी तरह मरीजों के लिए मंगाया जा रहा था, लेकिन अब पटना के जीएम रोड स्थित स्टॉकिस्ट के पास ही दवा नहीं है.
इस कारण दुकानों को दवाइयां मिल नहीं पा रही है.
मई तक पहुंचनी थी दवा, नहीं आई
राज्य टीबी कार्यालय और अलग-अलग अस्पतालों तथा टीबी से ग्रसित मरीजों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र से दवाइयों की आपूर्ति बाधित हुई है. राज्य टीबी अधिकारी (एसटीओ) डॉ. बीके मिश्रा ने बताया कि कोरोना काल में लगातार दो सालों तक टीबी की दवा बनाने वाली कंपनियों को ऑर्डर नहीं गया था. पहले से स्टॉक में बची दवाइयां अब समाप्त हो गई हैं. दो माह पहले डॉ. बीके मिश्रा ने मई के अंत तक दवाइयों की आपूर्ति सुचारू रूप से होने की बात कही थी. लेकिन मध्य तक दवाइयों की किल्लत और ज्यादा बढ़ गई.