पटना: शहर में कुत्तों के आतंक को खत्म करने के लिए नगर निगम अगले माह से अभियान चलाएगा. आवारा कुत्तों को पकड़ा जाएगा, जबकि बीमार कुत्तों का उपचार एवं नसबंदी कुत्ता अस्पताल में किया जाएगा. पटना शहर में प्रति माह औसतन 0 लोगों को आवारा कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं.
वर्ष 22-23 में नगर निगम ने आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एक एजेंसी का चयन किया था. एक सामाजिक संगठन ने आपत्ति जताई तथा न्यायालय में याचिका दायर कर दी. मामला न्यायालय में होने के कारण निगम ने अभियान रोक दिया. पिछले एक साल से ना तो कुत्तों को पकड़ा जा रहा है और ना ही नसबंदी हो पा रही है, जबकि बैरिया में कुत्तों के लिए एक अलग अस्पताल बनाया गया है.
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि न्यायालय के आदेश आने के बाद अब कुत्तों को फिर से पकड़ने का काम अगले माह से शुरू किया जाएगा. लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू है इसीलिए एजेंसी चयन को लेकर टेंडर जारी नहीं किया जा सकता है. चुनाव बाद टेंडर जारी होगा. आवारा कुत्तों को सुरक्षित जगह पर रखा जाएगा. कुत्तों की नसबंदी भी की जाएगी.
ताकि इनके प्रजनन में कमी आ सके. जिन-जिन मोहल्ले में कुत्तों की संख्या अधिक है इसका सर्वे किया जाएगा तथा ऐसे इलाके में अभियान चला करके उन्हें पकड़ा जाएगा.
पटना शहर एवं आसपास के इलाके में कुत्ता काटने की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. कदमकुआं, अशोक राजपथ, पीर मोहानी, पटना सिटी, बाकरगंज, बांकीपुर, मीठापुर, बाईपास इलाका, बोरिंग रोड, दीघा, सगुना आदि इलाकों के लोगों ने नगर निगम से शिकायत दर्ज करायी है.
कुत्तों का आतंक बढ़ गया है. कई इलाके से शिकायत दर्ज कराई जा रही है. एजेंसी का चयन नहीं होने के कारण कुत्तों को पकड़ने में परेशानी हो रही है. लोकसभा चुनाव के बाद यह समस्या दूर हो जाएगी.
-राजन सिंह,अपर नगर आयुक्त