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न्यूज़ क्रेडिट :- News4Nation न्यूज़
पटना. राज्य में पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड़ स्थित अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए एकमात्र स्कूल की दयनीय अवस्था को पटना हाइकोर्ट ने गम्भीरता से लिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक और समाज कल्याण विभाग के निदेशक को अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करने के लिए तलब किया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति की बालिकाओं के लिए पश्चिम चम्पारण के हारनाटांड़ एकमात्र स्कूल है। पहले यहां पर कक्षा एक से ले कर कक्षा दस तक की पढ़ाई होती थी। लेकिन जबसे इस स्कूल का प्रबंधन सरकार के हाथों में गया, इस स्कूल की स्थिति बदतर होती गई। कक्षा सात और आठ में छात्राओं का एडमिशन बन्द कर दिया गया।
साथ ही कक्षा नौ और दस में छात्राओं का एडमिशन पचास फीसदी ही रह गया। यहां पर सौ बिस्तर वाला हॉस्टल छात्राओं के लिए था, जिसे बंद कर दिया गया। इस स्कूल में पर्याप्त संख्या में शिक्षक भी नहीं है। इस कारण छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। कोर्ट ने जानना चाहा कि इतनी बड़ी तादाद में छात्राएं स्कूल जाना क्यों बंद कर दे रही है। कोर्ट ने कहा कि जब इस स्कूल के लिए केंद्र सरकार पूरा फंड देती है, तो सारा पैसा स्कूल को क्यों नहीं दिया जाता हैं। इस मामलें पर आगे की सुनवाई 14 नवंबर 2022 को होगी।
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