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पटना हाईकोर्ट ने बाबू राजेंद्र प्रसाद स्मृति संग्रहालय मामले में बिहार विद्यापीठ के चेयरमैन को लगाई कड़ी फटकार, पूछा क्यों ना पटना डीएम को दे दी जाए जिम्मेदारी

Renuka Sahu
4 March 2022 2:20 AM GMT
पटना हाईकोर्ट ने बाबू राजेंद्र प्रसाद स्मृति संग्रहालय मामले में बिहार विद्यापीठ के चेयरमैन को लगाई कड़ी फटकार, पूछा क्यों ना पटना डीएम को दे दी जाए जिम्मेदारी
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फाइल फोटो 

बाबू राजेंद्र प्रसाद स्मृति संग्रहालय मामले पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यापीठ के चेयरमैन को कड़ी फटकार लगाई। को

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बाबू राजेंद्र प्रसाद स्मृति संग्रहालय मामले पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने बिहार विद्यापीठ के चेयरमैन को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि चेयरमैन की लापरवाही का नतीजा है कि आज विद्यापीठ की जमीन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। कोर्ट का कहना था कि क्यों नहीं विद्यापीठ की जिम्मेवारी पटना डीएम को दे दी जाए।

कोर्ट ने कहा कि विद्यापीठ की जमीन पर 15 पक्के दुकान तथा 42 अतिक्रमणकारियों का कब्जा बताता है कि चेयरमैन विद्यापीठ की जमीन को सुरक्षित रखने में नाकाम रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल तथा न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने अधिवक्ता विकास कुमार की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट में उपस्थित पटना डीएम ने कोर्ट को बताया कि विद्यापीठ के पास 32 एकड़ जमीन है। लेकिन 29.82 एकड़ जमीन की ही जमाबंदी बिहार विद्यापीठ के नाम से है। उनका कहना था कि 7.62 एकड़ जमीन की जमाबंदी दूसरे के नाम पर है। वहीं, कोर्ट में मौजूद विद्यापीठ के चेयरमैन ने कोर्ट को बताया कि जमीन बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है। निचली अदालत में 20 मुकदमा पिछले कई वर्षों से लंबित है।
उनका कहना था कि विद्यापीठ के जिस घर में राजेंद्र बाबू रहते थे, उस घर के कुछ हिस्सा पर लोग कब्जा कर रखे हैं। जबकि कई वकीलों ने कोर्ट को बताया कि विद्यापीठ के प्रथम चांसलर मौलाना मजरुल हक ने जमीन की रजिस्ट्री कई लोगों को की थी। रजिस्टर्ड सेल डीड के आधार पर लोग अपना कब्जा दिखा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बाबू राजेंद्र प्रसाद राष्ट्र के धरोहर हैं और राष्ट्र की संपत्ति किसी की निजी संपत्ति नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि विद्यापीठ की जमीन के चाहरदीवारी के अंदर की सारी जमीन विद्यापीठ की है। कब्जाधारियों को जमीन छोड़नी ही होगा। कोर्ट ने कोर्ट में उपस्थित डीएम को विद्यापीठ को अपने संरक्षण में लेने के बारे में कार्रवाई करें। कोर्ट ने विद्यापीठ के चेयरमैन को जमीन का सारा दस्तावेज सहित जमीन पर कब चाहरदीवारी का निर्माण किया गया एवं अन्य जानकारी डीएम को देने का आदेश दिया। कोर्ट ने चेयरमैन के काम पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार विद्यापीठ को अपने नियंत्रण में ले। इस बारे में डीएम को जल्द कार्रवाई करने का आदेश दिया।
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