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बिहार
पटना: जाति आधारित जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई पांच जुलाई से चल रही थी.बिहार के महाधिवक्ता पी.के. शाही ने कोर्ट में पेश होकर राज्य सरकार का पक्ष रखा.
5 दिनों तक चली सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि फैसला बाद में सुनाया जाएगा. अपने तर्क में शाही ने कहा कि जाति आधारित सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य के अंदर और बाहर रहने वाले लोगों का वास्तविक डेटा प्राप्त करना है ताकि उनके लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू की जा सकें.
उन्होंने कहा कि जनगणना का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है और इससे किसी भी व्यक्ति की निजता का उल्लंघन नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि विभिन्न परीक्षाओं के फॉर्म की बदौलत जातियों की जानकारी पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है क्योंकि उम्मीदवारों ने जातियों का उल्लेख किया है।
जाति आधारित सर्वेक्षण को 4 मई को पटना उच्च न्यायालय ने रोक दिया था और प्राधिकरण को अब तक एकत्र किए गए डेटा को संरक्षित करने के लिए कहा था। जाति आधारित सर्वेक्षण 7 जनवरी को शुरू किया गया था और 15 मई को पूरा होने वाला था।
-आईएएनएस
Deepa Sahu
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