बिहार

पटना: महिला कलाकारों की पेंटिंग्स का एग्जीबिशन

Soni
9 March 2022 7:37 AM GMT
पटना: महिला कलाकारों की पेंटिंग्स का एग्जीबिशन
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ललित कला अकादमी की ओर से पटना में 7 महिला कलाकारों की पेंटिंग की प्रदर्शनी लगी। इस आर्ट एग्जीबिशन का उद्घाटन पूर्व मुख्य सचिव और वर्तमान में बिहार म्यूजियम के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह और प्रोफेसर पूर्णिमा घोष ने किया। इस अवसर पर आनंदी प्रसाद बादल, अवधेश अमन, अशोक कुमार सिन्हा, मनोज बच्चन, वीरेन्द्र कुमार, रामू कुमार, मनीष मंजुल आदि की उपस्थिति खास रही। एग्जीबिशन महिला दिवस के दिन शुरू हुआ। यह 11 मार्च तक चलेगा। जिन 7 महिला कलाकारों ने अपनी पेंटिंग यहां लगाई हैं उनके नाम हैं- सत्या सार्थ, अनीता, संगीता, अर्चना कुमार, नम्रता कुमारी, हेमा विश्वकर्मा और मीनाक्षा सेंडलेज। इसमें हेमा विश्वकर्मा लखनऊ में रहती हैं और मीनाक्षी कर्नाटक में।

राष्ट्रीय स्तर के कला समीक्षक अवधेश अमन कहते हैं कि इनमें दो-तीन कलाकारों को तो मैं राष्ट्रीय क्षितिज पर देखता हूं। अनीता कुमारी के काम को मैं 20 वर्षों से देख रहा हूं। संगीता ने वाटर कलर में लैंड स्केप में अच्छा काम किया है। सत्या सार्थ ने अच्छी कोशिश की है। ऐक्रिलिक शीट पर बैक इमेज से हेमा विश्वकर्मा ने बेहतर काम किया है। वे कहते हैं कि ऐसा आयोजन जब आगे से हो तो उसे क्यूरेट करने का चिंतन भी होना चाहिए। इससे आयोजन और बेहतर होगा।

अर्चना कुमार बताती हैं कि मेरे मूड पर मेरी पेटिंग डिपेंड करती है। एक पेटिंग मॉन्ग्स की लाइफ जर्नी को दिखाया है। ये सिर्फ उनकी जर्नी नहीं बल्कि हमारी जर्नी भी हो सकती है। सांसारिक बंधन में रहते हुए भी हम इस जर्नी को तय कर सकते हैं। संगीता ने कई पेटिंग नेचर पर बनाई है। आदिवासियों की पेटिंग में भी नेचर खूब दिखाते है। मौसम के अलग-अलग रंग मैंने वाटर कलर से दिखाने की कोशिश की है। पहाड़ी क्षेत्र से लेकर जंगली इलाकों तक को दिखाया है। गांव में जो माहौल था वह दिखाया है। वूड प्रिंट भी मैंने एग्जीबिशन में लगाया है। वीमेंस की गहराई को दिखाने की कोशिश की है। नम्रता कुमारी का काम भी डिफरेंट है। सुजनी लोक कला को उन्होंने पेपर पर किया है और साथ में पेंटिग भी। सुजनी के लिए अलग-अलग रंगों के धागों का प्रयोग उन्होंने किया है। सुजनी लोक कला है और उसे नये तरीके से इन्होंने सामने लाया है। मीनाक्षी साडालेगे ने रियलिस्टिक आर्ट किया है। वे एग्जीबिशन में पटना नहीं आई हैं। इन्होंने अपनी पेंटिग भेजकर यहां लगाई है। वे कर्नाटक की रहने वाली हैं और वहां की कला का असर इनकी सभी पेटिंग पर खूब दिख रहा है। इन सातों महिला आर्टिस्ट के रंगों में जीवन के रंग हैं, उसमें उलझे महिला का दर्द है लेकिन साथ ही हरा सा पत्ता भी है।

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