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बिहार | मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फिर से एनडीए (NDA) में जाने की अटकलों के बीच केंद्रीय मंत्री एवं राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार (26 सितंबर) को चौंकाने वाला बयान दिया. पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का स्वागत है… स्वागत है… स्वागत है. समय का इंतजार कीजिए. जो भी होगा. अच्छा होगा. व्यक्ति नहीं समय बलवान होता है. पारस के इस बयान से नीतीश के फिर से एनडीए में आने की अटकलों को और हवा मिल गई है. पशुपति पारस से पूछा गया था कि क्या फिर से नीतीश एनडीए में आ रहे हैं? आते हैं तो क्या उनका स्वागत करिएगा? इसी पर पशुपति पारस जवाब दे रहे थे. आखिर नीतीश के मन में क्या है? क्या नीतीश का मन फिर से डोल रहा है? क्या फिर एनडीए में जा सकते हैं या इंडिया गठबंधन में बड़ा रोल चाहते हैं इसलिए दबाव की सियासत कर रहे हैं? इस तरह के कई सवाल हैं. वैसे नीतीश कई बार बोल चुके हैं कि वह इंडिया गठबंधन में ही रहेंगे. उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है. विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं.वहीं दूसरी तरफ बिहार विधानसभा के डिप्टी स्पीकर एवं जेडीयू के वरिष्ठ नेता महेश्वर हजारी ने बयान दिया था कि नीतीश ही इंडिया गठबंधन के पीएम कैंडिडेट होंगे. जब भी पीएम उम्मीदवार के नाम का एलान होगा वह नाम नीतीश का ही होगा. आरजेडी ने महेश्वर हजारी के बयान का समर्थन किया था, लेकिन इंडिया गठबंधन के तमाम दल इस मुद्दे पर खामोश रहे. नीतीश को इंडिया गठबंधन में अब तक कोई बड़ी जिम्मेदारी मिली नहीं है जबकि सियासी गलियारों में चर्चा थी कि वह संयोजक बनना चाहते हैं।
हालांकि इस बात को भी नीतीश नकारते रहे हैं. नीतीश को लेकर कंफ्यूजन वाली स्थिति बनी हुई है. यह भी सच है कि नीतीश दाएं हाथ से काम करते हैं तो बाएं हाथ को भी पता नहीं चलता है. वह कब कौन सा फैसला ले लें यह कह पाना मुश्किल हैनीतीश एनडीए में जाएंगे या इंडिया गठबंधन पर दबाव बना रहे हैं यह तो समय ही बताएगा लेकिन उनके एनडीए में जाने की अटकलें लगातार लग रही हैं। कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जिसके चलते इसकी हवा उठी है. राष्ट्रपति भवन में जी 20 डिनर में बहुत गर्मजोशी से नीतीश ने पीएम मोदी से मुलाकात की थी. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी कह चुके हैं कि नीतीश फिर एनडीए में आ सकते हैं.बता दें कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर सीएम नीतीश ने केंद्र सरकार का समर्थन किया है. महिला आरक्षण बिल का भी नीतीश ने समर्थन किया है. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती समारोह में नीतीश शामिल हुए लेकिन देवीलाल की जयंती पर रैली में शामिल होने हरियाणा नहीं गए. इंडिया गठबंधन ने कुछ पत्रकारों के बॉयकॉट का निर्णय लिया है. नीतीश ने इस फैसले का विरोध किया है. अमित शाह ने झंझारपुर रैली में एक बार भी नहीं कहा कि नीतीश के लिए एनडीए के दरवाजे बंद हैं. उन्होंने यहां तक कहा था कि लालू नीतीश की जोड़ी तेल पानी की तरह है जो साथ नहीं रह सकते. तेल पानी को गंदा कर देता है।
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Harrison
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