पटना न्यूज़: जिले में गेहूं खरीदारी का हाल बहुत बुरा है. किसानों में गेहूं बेंचने को लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है.
बताया जा रहा कि गेंहू का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक होने से किसान पैक्स से अधिक रुचि बाजार में बेंचने में दिखा रहे हैं. बाजार में गेहूं 2200 रुपये क्विंटल बिक रहा है, वहीं न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. इससे सहकारिता विभाग टेंशन में है.
सिर्फ 17 समितियां ही गेहूं खरीदारी का भेजीं प्रस्तावआलम यह है कि खरीदारी शुरू हुए 16 दिन हो गए लेकिन अबतक सिर्फ 170 क्विंटल ही गेहूं खरीदारी हो सकी है. जिले के गोरेयाकोठी पैक्स में दो किसानों से यह खरीदारी हुई है. इस बीच, जिले में गेहूं खरीदारी का हाल यह है कि सहकारिता विभाग की तमाम तेजी के बावजूद सिर्फ 17 समितियां ही गेहूं खरीदारी के लिए अपना प्रस्ताव दी हैं, इनमें 16 पैक्स व एक व्यापार मंडल शामिल है. वहीं महज 14 किसान ही गेहूं बेंचने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराए हैं, इनमें एक किसान ने व्यापार मंडल के लिए जबकि 13 ने पैक्स में अपना गेहूं बेंचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इस बीच चयनित 17 समितियों को को सीवान सेंट्रन को-ऑपरेटिव बैंक से गेहूं खरीदारी के लिए सीसी भी दे दी गई है. एक लॉट की गेहूं खरीदारी के लिए प्रति समिति के हिसाब से 6 लाख 23 500 रुपये दिए गए हैं.
सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रशासी पदाधिकारी आलोक कुमार वर्मा ने बताया कि एक पैक्स को एक लॉट के लिए 6 लाख 23 500 रुपये दिया गया है.
एमएसपी से अधिक तो गेहूं का बाजार मूल्य
एमएसपी से अधिक तो गेहूं का बाजार मूल्य ही है. ऐसे में किसान गेहूं बेचने को इच्छुक नहीं दिख रहे हैं. इधर, गेहूं अधिप्राप्ति को लेकर लक्ष्य निर्धारित किए जाने के बावजूद किसान पैक्स व व्यापार मंडल में गेहूं बेंचने को उत्सुक नहीं दिख रहे हैं. कारण कि सरकार का जो समर्थन मूल्य है उससे अधिक बाजार मूल्य होने के कारण गेहूं खरीद कोरम के बराबर होने की संभावना जताई जा रही है. सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 2125 रूपए प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार में 2200 नगद गेहूं की बिक्री शुरू है. जानकारों के अनुसार पिछले वर्ष सरकार द्वारा दो हजार 25 रुपण समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया था. इस वर्ष सौ रूपए का इजाफा हुआ है. पिछले वर्ष भी बाजार न्यूनतम समर्थन मूल्य से 100 रुपये अधिक बाजार भाव था. इस वर्ष पैदावार भी कम होने की बात कही जा रही है. सदर प्रखंड के किसान, हसमुद्दीन अंसारी व अर्जन नेानिया ने बताया कि सरकारी खरीद में पेमेंट देरी से मिलता है. पैसे की जरूरत होने से खुले बाजार में गेहूं बेंचने के लिए मजबूर है.