बिहार

मिलरों की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे पैक्स और स्थानीय किसान

Admin Delhi 1
10 Feb 2023 7:10 AM GMT
मिलरों की मनमानी का खामियाजा भुगत रहे पैक्स और स्थानीय किसान
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नालंदा न्यूज़: जिले में धान की खरीद बेपटरी हो गयी है. हद तो यह कि पैक्सों से धान लेने के बाद भी राइस मिलें चावल तैयार करने में फेल हो रही हैं. राज्य खाद्य निगम में चावल जमा करने की रफ्तार भी सुस्त है. इसका असर खरीद पर पड़ रहा है. कई पैक्सों के गोदाम फुल हैं. राशि रहने के बाद भी किसानों से खरीद नहीं कर रहे हैं. लाचार धरतीपुत्र न चाहकर भी खुले बाजार में अपनी उपज बेच रहे हैं. जबकि, कई पैक्स चावल जमा होने में विलंब के कारण राशि की कमी से जूझ रहे हैं.

इस बार नालंदा में 1.92 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य है. पांच लाख 91 हजार 902 किसानों ने निबंधन कराया है. अबतक महज 26 हजार 190 किसानों से एक लाख 62 हजार 608 टन धान खरीद की गयी है. पैक्सों द्वारा मिलरों को 81 हजार 977 टन धान दे दिया गया है. मिलरों की सुस्ती ऐसी कि 46 टन 789 टन चावल ही तैयार हो पाया है. जबकि, राज्य खाद्य निगम को 44 हजार 584 टन चावल दिया गया है. पैक्सों का कहना है कि मिलरों की मनमानी का खामियाजा वे भुगत रहे हैं. चावल जमा करने में देर के कारण राशि के भुगतान में विलंब हो रहा है. इसकी वजह से चक्रिये व्यवस्था प्रभावित हो रही है. चाहकर भी कई पैक्स खरीद नहीं कर पा रहे हैं.

15 मिलों से 230 पैक्स तो 12 व्यापार मंडल अरवा नहीं, इस बार सिर्फ उसना चावल ही तैयार किया जा रहा है. 15 मिलरों को धान से चावल बनाने के लिए अधिकृत किया गया है. इनसे 230 पैक्स तो 12 व्यापार मंडलों को टैग किया गया है. टैंगिंग में पेच है. कम क्षमता के मिलों से कई पैक्सों को संबद्ध कर दिया गया है. इसके कारण धान जमा करने के लिए पैक्सों को 10 से 12 दिन पर नंबर आ रहा है. इतना नहीं इसका असर चावल तैयार करने पर भी पड़ रहा है. धान लेने में देर होने के कारण पैक्सों के गोदाम भरे हुए हैं. ऐसे पैक्स खरीद करने में में हाथ खड़े कर लिये हैं. उनका कहना है कि किसानों से धान लेंगे तो रखेंगे कहां.

30 हजार टन ही बचा है लक्ष्य लक्ष्य नहीं बढ़ा तो हजारों किसान सरकारी दर पर धान बेचने से वंचित रह जाएंगे. एक लाख 92 हजार टन के विरुद्ध अबतक एक लाख 62 हजार खरीद हो चुकी है. जबकि, 33 हजार किसान अब भी धान बेचने के इंतजार में हैं. खत्म होते खरीद के लक्ष्य की वजह से धरती पुत्र चिंता में पड़े हैं. डर यह कि अगर लक्ष्य नहीं बढ़ा तो पैक्स धान नहीं खरीदेगा. ऐसे में व्यापारियों के यहां उपज बेचनी मजबूरी बन जाएगी. इसका फायदा कारोबारी उठाएंगे. लेकिन, नुकसान किसानों को होगा. पिछले साल से इसबार 72 हजार टन कम लक्ष्य दिया गया है.

कई पैक्सों का लक्ष्य खत्म धान खरीद में एक नहीं कई पेच हैं. हद तो यह कि राशि रहने के बाद भी कई पैक्स धान खरीद नहीं कर रहे हैं. वजह है, उनका लक्ष्य ही खत्म हो गया है. जबकि, चंडी के पैक्स अध्यक्ष कहते हैं कि जितना लक्ष्य दिया गया था, उतना खरीद कर ली है. जबकि, उनके यहां अब भी कई किसान धान बेचने के इंतजार में बैठे हैं. समस्या यह कि जबतक लक्ष्य नहीं बढ़ता है, तबतक चाहकर भी खरीद नहीं कर सकते.

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