गया न्यूज़: रेल पटरियों को दुरुस्त करने में अब अधिकारियों की बहानेबाजी नहीं चलेगी. रेलवे बोर्ड ने को जारी पत्र में सभी जोन को निर्देशित किया है कि मेंटेनेंस से जुड़े कार्यों में मानव बल की कमी आड़े नहीं आनी चाहिए. जरूरत के अनुसार सभी जोन और उनसे जुड़े रेल मंडल आउटसोर्सिंग कर सकते हैं. इसके लिए आर्थिक संसाधनों की कमी किसी जोन में नहीं है.
बोर्ड ने संरक्षा नियमों की सख्ती बढ़ाते हुए हर जोन को इस बाबत निर्देश जारी किया है. रेलवे बोर्ड के इस आदेश को रेल अधिकारी एक तरफ सख्ती तो दूसरी तरफ सुविधा के तौर पर भी देख रहे हैं. हालांकि, अफसर अभी इस बाबत स्पष्ट दिशा-निर्देश के इंतजार में हैं. आने वाले दिनों में इसकी व्यापक रूपरेखा बोर्ड के स्तर पर जारी हो सकती है. तबतक जोनल रेल के शीर्ष अफसरों द्वारा सभी रेल मंडलों को मेंटेनेंस के लिए मानव बलों की कमी का आकलन करने को कहा गया है.
देश भर में लगातार हो रहे रेल नेटवर्क के विस्तार के दौरान नई नई ट्रेनों के परिचालन के बीच रेल पटरियों को मेंटेन रखने की भारी चुनौती है. कई व्यस्ततम रेल रूटों पर रेल पटरियों को मेंटेनेंस के लिये सांस लेने के मौका नहीं मिलता है. हालांकि, पिछले एक साल में नॉन इंटरलॉकिंग, प्लेटफॉर्म विस्तार, दोहरीकरण और तीसरीकरण की दिशा में काम कर कुछ हद तक कमी लाई गई है लेकिन देश के अधिकतर व्यस्तततम रेल रूटों पर कई प्वाइंट पर ट्रैक सेचुरेशन शत प्रतिशत या उससे भी पार है. हावड़ा डीडीयू रेलखंड पर पटना से मुगलसराय के बीच नई ट्रेनों को चलाने की भारी चुनौती है.
मेंटेनेंस को लेकर रद्द करनी पड़ रही हैं ट्रेनें पटरियों पर हो रही परेशानियों को इस बात से समझा जा सकता है कि पूर्व मध्य रेल सहित अन्य जोनों में पिछले एक साल में ट्रेनों को रद्द करने का सिलसिला लंबे दिनों तक चला. एक के पीछे एक ट्रेनों के परिचालन के बीच इन्हें शत प्रतिशत मेंटेन करना बड़ी चुनौती है. जाड़े के दिनों में जब ट्रेनें लेट होने लगती हैं तो दर्जनों ट्रेनों को कई हफ्ते तक पूर्णकालिक या अंशकालिक समय के लिये रद्द करना पड़ता है. अकेले पूर्व मध्य रेल में पिछले एक सालों में कई महत्वपूर्ण ट्रेनों के लगभग 12 सौ फेरे रद्द रहे. रेलवे ट्रेनों को चलाने के साथ साथ पटरियों को संरक्षित परिचालन के लिये ताबड़तोड़ दोहरीकरण और तिहरीकरण की योजनाओं को गति देने पर विचार कर रहा है.