वार्ड 16 में पानी के लिए हाहाकार, एक टैंकर से कैसे होगा गुजारा
भागलपुर न्यूज़: जलसंकट के बीच नगर निगम वैकल्पिक व्यवस्था पर जोर दे रहा है. संकट वाले इलाके में ऑटो टिपर से पीने का पानी पहुंचाने की शुरुआत हो गयी है. पहले दिन चार वार्डों के कई मोहल्लों में एक ऑटो टिपर पहुंचा और जरूरतमंदों को पानी उपलब्ध कराया गया. इस नयी व्यवस्था से वार्ड 07, 10, 11 व 14 के करीब 400 लोग लाभान्वित हुए. इधर, वार्ड में जब ऑटो टिपर पहुंचा था, तो लोग बाल्टी, डिब्बा व बर्तन लेकर दौड़ पड़े. पानी लेने के लिए लोगों की भीड़ लग गई. 1000 लीटर की टंकी से सभी को पानी दिया गया. पानी लेने के लिए कुछ जगहों पर लोगों की लंबी लाइन नजर आयी.
इधर, पार्षदों के बताए जाने और उनकी मांग पर जलसंकट वाले इलाके में ऑटो टिपर पानी लेकर पहुंचा था. निगम के स्वास्थ्य शाखा प्रभारी आदित्य जायसवाल ने बताया कि पार्षदों के बताए गये जलसंकट वाले चार वार्डों के मोहल्ले में एक ऑटो टिपर से पानी पहुंचाया गया. पीने का पानी जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया गया. से जलसंकट वाले इलाके में दो ऑटो टिपर से पानी पहुंचाया जाएगा. दूसरा ऑटो टिपर नगर निगम गोदाम में देर शाम तक तैयार कर लिया गया है. यानी, ऑटो टिपर पर 1000 लीटर की टंकी को सेट किया है. ऑटो टिपर में एंगल और रबर लगाकर टंकी को इंस्टॉल किया है. टंकी से एक मोटा पाइप निकालते हुए उसमें नल लगाया है. इस तरह की दो और गाड़ी तैयार की जायेगी. यह काम भी साथ-साथ चलेगा.
वार्ड 16 में पानी के लिए हाहाकार एक टैंकर से कैसे होगा गुजारा
पारा आसमान छू रहा है और भू जलस्तर पाताल को. पानी के लिए लोगों की निजी व्यवस्था कारगर नहीं है. कई मोहल्लों में अधिकांश लोग निगम की जलापूर्ति व्यवस्था पर निर्भर हैं, लेकिन वार्ड नंबर 16 की स्थिति ऐसी है कि पिछले 20 दिनों से यहां के लोग बिना पानी के रह रहे हैं. पूरा रमजान बिना पानी के बीता. यहां 20 दिनों के बाद भी बोरिंग में फंसे जाली को निकाला नहीं जा सका है. इसके लिए पार्षद द्वारा लगातार निगम के अधिकारी से अनुरोध किया जा रहा है. बावजूद उनकी मांगों को नरअंदाज किया जा रहा है.
इस वार्ड के रिकाबगंज, वाजिद अली लेन, उर्दू बाजार समेत कई मोहल्ले के 15 हजार से अधिक आबादी के बीच जलसंकट है. वार्ड पार्षद अमृता राज ने बताया कि निगम के अधिकारियों से लगातार अनुरोध किया जा रहा है कि इंजीनियर को भेजकर व्यवस्था दुरुस्त कराएं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. कोई इंजीनियर नहीं आ रहे. लोगों में आक्रोश है. बोरिंग की स्थिति सुधारी नहीं गयी, तो लोगों के साथ रोड पर उतरने को मजूबर होना पड़ेगा.