बिहार

पटना-दिल्ली से मिल रहे ऑर्डर, 20 से लेकर 60 रुपए तक है दाम

SANTOSI TANDI
9 Aug 2023 10:07 AM GMT
पटना-दिल्ली से मिल रहे ऑर्डर, 20 से लेकर 60 रुपए तक है दाम
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20 से लेकर 60 रुपए तक है दाम
औरंगाबाद में बन रही गोबर की राखियों का क्रेज इन दिनों काफी बढ़ गया है। इन राखियों के लिए पटना और दिल्ली से ऑर्डर आने लगे है।
वहीं, कुटुम्बा प्रखंड के पंचदेव धाम परता में गाय के गोबर से राखी बना रही महिलाओं में भी काफी उत्साहित देखने को मिल रहा हैं। सभी समूह बनाकर एक दिन में लगभग 100 से 150 राखियां बना रही हैं। उक्त महिलाओं को विश्व हिंदू परिषद के गौ रक्षा विभाग से जुड़ी प्रयागराज निवासी सीमा पांडे ट्रेनिंग दे रही हैं।
राखी बना रही महिलाएं
राखी बना रही महिलाएं
सीमा पांडेय बताया कि कि विश्व हिंदू परिषद के गौ रक्षा विभाग के त्रिलोकीनाथ बागी सर द्वारा मुझे चपरा गौशाला भेजा गया है। इससे पहले मैं जमशेदपुर में थी। जहां गाय के गोबर से उत्पाद बनाए जाते थे। वहां रहकर मैंने ट्रेनिंग ली है। जब मैं यहां पहुंची तो देखा कि गौशाला में काफी गाय हैं। गोबर भी है, लेकिन इसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हो रहा है। जिसके बाद उसने पंचदेव धाम चपरा के अध्यक्ष अशोक सिंह से बात कर गोबर से उत्पाद बनाने की बात कही। फिर चार महिलाओं को साथ लेकर काम शुरू की। अब कई महिलाएं खुद से जुड़ रही हैं और गाय के गोबर से उत्पाद बना रही हैं। उन्हें पारिश्रमिक के रूप में 200 रुपये दिया जाता है।
गोबर से बनाई गई राखियां।
गोबर से बनाई गई राखियां।
20 से लेकर 60 रुपए तक की बना रही राखी
सीमा पांडे ने बताया कि यहां 20 रुपए से लेकर 60 रुपए तक की राखियां तैयार की जा रही है। जिसका ऑर्डर बद्रीनाथ आर्मी कैम्प, दिल्ली और पटना से मिल रहे हैं। लोगों का धीरे-धीरे इस से जुड़ाव हो रहा है। साथ ही उन्होंने बताया कि गोबर से बने उत्पाद के कई फायदे हैं। गोबर रेडिएशन को सोखता है। इसलिए जब तक कलाई पर राखी बंधा रहेगा तब तक आपक रेडिएशन से बचे रहिएगा। वहीं फेंकने के बाद उर्वरक बन जाएगा। इसलिए इसका बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
सीमा पांडेय ने बताया कि अभी राखी का त्योहार आने वाला है। लिहाजा राखी पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा अन्य उत्पाद भी बनाए जाते हैं। जिसमें एंटी रेडिएशन चिप, दीया, पहनने वाला माला, ब्रेसलेट, मूर्तियां, तितली, शुभ-लाभ व स्वास्तिक समेत अन्य चीजों को बनाया जाता है। इससे कमाई होने वाली पैसे को गोशाला के देखरेख में लगाया जाता है।
सीमा पांडे ने बताया कि राखी के अलावा दीया, पहनने वाला माला, ब्रेसलेट, मूर्तियां, समेत अन्य चीजों को बनाया जाता है।
सीमा पांडे ने बताया कि राखी के अलावा दीया, पहनने वाला माला, ब्रेसलेट, मूर्तियां, समेत अन्य चीजों को बनाया जाता है।
जानिए कैसे बनते हैं गोबर से उत्पाद
सीमा पांडेय ने बताया कि गोबर से राखी बनाने के लिए सबसे पहले गोबर काे सुखाया जाता है। जिससे उसकी गंध लगभग खत्म हो जाती है। इसके बाद सूखे गोबर का चूर्ण बनाया जाता है। जब चूर्ण तैयार हो जाती है तो उसमें हल्दी व चंदन मिलाया जाता है। अंत में गवार फली का चूर्ण मिलाकर पानी के साथ गोबर को आंटा की तरह गूंदा जाता है। गवार फली गोंद का काम करती है, जिससे पूरा मिश्रण सख्त और चमकदार हो जाती है। इसके बाद राखी तैयार किया जाता है। फिर उसे सुखाकर पेंट किया जाता है। जिसके बाद काफी आकर्षक राखियां तैयार होती है।
महिलाएं बोली- मिल रहा रोजगार
राखी बना रही महिलाओं ने बताया कि गोबर से सामान बनाने का कार्य शुरू होने से उन्हें रोजगार मिली है। काम के अलावा समय निकालकर वे लोग यहां काम करती हैं। जिससे कमाई हो जाती है। इस पैसे से वे लोग अपने परिवार के भरण-पोषण कर रही हैं।
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