बिहार

जिले में दो माह में सिर्फ 7877 किसानों की हुई धान अधिप्राप्ति

Admin Delhi 1
21 Jan 2023 7:37 AM GMT
जिले में दो माह में सिर्फ 7877 किसानों की हुई धान अधिप्राप्ति
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बक्सर न्यूज़: जिले में धान अधिप्राप्ति की गति बेहद धीमी है. समिति प्रबंधन की मनमानी व इसके लिए संबंधित पदाधिकारियों द्वारा उन्हें दी गई खुली छूट इसका मुख्य कारण है. नतीजा यह है कि पैक्स प्रबंधन खुद बिचौलिए की भूमिका में 1700 से 1750 रु प्रति क्विंटल से किसानों से धान खरीद रहे हैं और इसकी शिकायत पर पदाधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. लिहाजा पैक्स प्रबंधन की शर्तों पर खरा उतरने वाले किसानों से ही धान की अधिप्राप्ति की जा रही है, जबकि एमएसपी पर खरीद की बात करने वालों को ठेंगा दिखा दिया जा रहा है.

चालू खरीफ विपणन वर्ष के लिए जिले में धान अधिप्राप्ति का कुल लक्ष्य 1,77,229 एमटी तय किया गया है. इसमें से पंजीकृत 9718 में से 7877 किसानों से 18 जनवरी तक 73648.588 एमटी धान की खरीद हुई है. ऐसे में धान अधिप्राप्ति का आंकड़ा लक्ष्य से अभी कोसों दूर है. जिले में धान अधिप्राप्ति की अवधित 15 नवंबर से 15 फरवरी तक तय है. किसान वशिष्ठ सिंह व राकेश सिंह ने कहा कि पैक्स प्रबंधनों की आपनवाली के चलते किसान अपना धान बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं. क्योंकि अधिकारी किसानों की शिकायतों से पल्ला झाड़ लेते हैं और पैक्स प्रबंधन को ही उचित ठहराने लगते हैं.

सीसी के कारण बाधित हुई थी अधिप्राप्ति

धान अधिप्राप्ति के लिए जिले की कुल 133 समितियों को स्वीकृति मिली है. इनमें से 127 पैक्स व 06 व्यापार मंडल हैं. प्रथम चरण में उक्त सभी समितियों को लक्ष्य का 40 प्रतिशत कैश क्रेडिट (सीसी) की राशि मुहैया कराई गई थी. वह राशि कुछ दिन पूर्व खत्म हो गई थी. अब दूसरे चरण में 20 प्रतिशत सीसी प्राप्त हो गया है. लिहाजा सीसी खत्म होने के चलते अधिप्राप्ति के बहाना पर भी विराम लग गया है. इस साल रैयत किसानों से अधिकतम 250 क्विंटल व गैर रैयत से 100 क्विंटल धान अधिप्राप्ति करनी है.

अरवा और उसना सीएमआर का पेच

धान अधिप्राप्ति का 79 प्रतिशत उसना फोर्टिफाइड सीएमआर जमा करने की बाध्यता कर दी गई है. जबकि जिले में मात्र 3 ही उसना राइस मिल अधिष्ठापित हैं. ऐसे में अरवा राइस सीएमआर जमा करने में पेंच फंस रहा है. पैक्स व व्यापार मंडल संघ के जिलाध्यक्ष भारत भूषण सिंह का कहना है कि फोर्टिफाइड सीएमआर के लिए एफआरके (एक प्रकार का केमिकल युक्त पाउडर) भी मिलरों को नहीं दिया गया है. इससे फोर्टिफाइड सीएमआर तैयार करना मुश्किल हो गया है. पैक्सों द्वारा एसएफसी को सीएमआर उपलब्ध नहीं कराने से भुगतान बाधित है.

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