बिहार

मनरेगा मजदूरों का विभाग पर है डेढ़ करोड़ बकाया

Admin Delhi 1
12 Aug 2023 5:48 AM GMT
मनरेगा मजदूरों का विभाग पर है डेढ़ करोड़ बकाया
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रोहतास: प्रखंड की मलवार से टेकारी तक राजवाहे में मेठो से दो हजार रुपये मासिक वसूली करने का मामला प्रकाश में आया है. इसकी लिखित शिकायत जिलाधिकारी से की गयी है.

मेठ रवीन्द्र कुमार पिता बनारसी सिंह मलवार, रामकवल सिंह पिता स्व. रामनन्दन सिंह भद्रशिला, जमुना पासवान पिता. स्व गुदरी पासवान पखनारी, महावीर सिंह पिता स्व. राजनाथ सिंह टेकारी ने बताया कि नहर वितरणी में कुल 12 मेठो की मजदूरी सिचाई विभाग द्वारा की जाती है. लेकिन उसमें सभी से दो हजार रुपये प्रतिमाह जेई अरविंद कुमार वसूल करते हैं. बताते चलें कि जेई द्वारा नहर तटबंधों के टूटने व रखरखाव पर लाखों रुपये खर्च किये गये हैं. लेकिन अऊंवा गांव की पास वितरणी का एक भाग हमेशा टूटा रहता है. जिसकी भी शिकायत जनप्रतिनिधियों ने की थी.

गौरतलब हो कि सिंचाई विभाग द्वारा नहरों की निगरानी के लिए मेठों की नियुक्तति की गई है. इन्हें प्रतिमाह पांच हजार रुपए मानदेय मिलता है. सिंचाई विभाग के एसडीओ दीपक कुमार ने बताया कि हमारे जानकारी में ऐसा नहीं है. अगर जिलाधिकारी के पास आवेदन किया गया है तथा हमारे संज्ञान मे मामला आता है तो विभागीय जांच कर कार्रवाई की जाएगी.

जिले में मनरेगा मजदूरों का करीब डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया है. इससे मनरेगा मजदूर मजबूरी भुगतान को लेकर प्रत्येक दिन मुखिया से लेकर कार्यक्रम पदाधिकारियों के कार्यालय में चक्कर लगाते फिर रहे हैं. बावजूद इसके भुगतान को लेकर मामला सिफर है.

पिछले करीब दो-ढाई माह से मजदूरों का भुगतान लंबित है. विभाग का कहना है कि मजदूरों का भुगतान जीरो टॉलरेंस करना है. बावजूद इसके निर्धारित समय-सीमा के अंदर उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है.

ऐसे में मजदूरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि मजदूरी के पैसे से ही उनके घर का खर्च चलता है. बच्चों की पढ़ाई से लेकर दो वक्त की रोटी मजदूरी के पैसे ही जुगाड़ होती है. बता दें कि मजदूरी का पैसा मिला तो उनके घर का चूल्हा जलेगा. वर्ना उन्हें दो वक्त की रोटी जुगाड़ करने के लिए सोंचना पड़ता है. पूर्व में मजदूरों को प्रत्येक सप्ताह मजदूरी का भुगतान किया जाता था.

लेकिन पिछले कई माह से भुगतान में लगातार पेंच फंस रहा है. मजदूर राजवंश ने बताया कि वे मजदूरी के लिए लगातार कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. बाजवूद इसके भुगतान नहीं किया जा रहा है. बरसात में रोजगार मिलना भी मुश्किल हो गया है.

मजदूरी के पैसे पर ही बरसात का खर्च चलता है. लेकिन भुगतान नहीं होने से परेशानियां बढ़ रही है. स्थानीय दुकानदारों ने उधार में सामग्री देना बंद कर दिया है. क्योंकि उन पर कर्ज भी लगातार बढ़ रहा है. दुकानदार भी तगादा करने लगे हैं.

बच्चों की ट्यूशन फी के लिए शिक्षक परेशान कर रहे हैं. मजदूरी का भुगतान नहीं होने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. बताया जाता है कि मनरेगा में बरसात के पूर्व प्रत्येक दिन 38 से 40 हजार मजदूर प्रत्येक दिन काम करते हैं. पौधरोपण में भी सात हजार मजदूर काम-काज करते हैं.

इस बार मनरेगा के तहत चार लाख 58 हजार पौधरोपण किया जाएगा. वहीं वन विभाग ने भी नौ लाख जिले में पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित की है. ऐसे में भूखे पेट मजदूर कैसे काम करेंगे. यह बड़ा सवाल है. सभी का कहना है कि बिना मजदूरी सभी कैसे अपना गुजारा कर पाएंगे. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है.

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