दरभंगा न्यूज़: डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि के विभागाध्यक्ष (शस्य) डॉ. देवेन्द्र सिंह ने कहा कि गेहूं-धान जैसे परंपरागत अनाजों के साथ बाजरा, मडुआ, ज्वार, सामा जैसे मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ावा देना समय की मांग है. इसके प्रति किसानों में जागरूकता बढ़ाने में प्रसार कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम है. वे फसल चक्र में हल्का सुधार कर खेती को लाभकारी बनाने की कला से लाभ कमाने के लिए किसानों को प्रेरित कर सकते हैं.
वे विवि के पंचतंत्र के सभागार में राज्य के विभिन्न जिलो से आये एटीएम, बीटीएम व कृषि समन्वयकों को संबोधित कर रहे थे. मौका था पोषक अनाज का उत्पादन एवं मूल्य संवर्द्धन विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र का.
उन्होंने कहा कि पूर्व के दशको में मोटे अनाजों को गरीबों का मुख्य आहार माना जाता था. लेकिन अब लोग पौष्टिक आहार चाहते हैं. मोटे अनाजो में पाये जा रहे लाभकारी पोषक तत्वों के कारण अब इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एमएस कुंडू ने कहा कि पूर्व के वर्षो में अनाज के उत्पादन में उसकी क्वान्टीटी को तबज्जो दी जा रही थी. लेकिन अब पौष्टिक आहार के उत्पादन पर जोर समय की मांग है. कसंचालन करते हुए उपनिदेशक प्रशिक्षण डॉ. अनुपमा सिंह ने विवि व प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत की. मौके पर ज्ञानरंजन प्रसाद, रामाधार प्रसाद, राधवेन्द्र आदि मौजूद थे. प्रशिक्षण में आये कृषि कर्मियों का उत्साह देखते बन रहा था.