रोहतास: बिहार में मक्का प्रसंस्करण इकाई लगाने में निवेशक ज्यादा रुचि ले रहे हैं. दूसरे स्थान पर फल एवं सब्जी प्रसंस्करण इकाई है. बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत इन्हें अनुदान भी दिया जा रहा है.
इस वर्ष भी सरकार ने सात फसलों से संबंधित प्रसंस्करण इकाई को मदद देने की घोषणा की है. इसके लिए चौदह करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. व्यक्तिगत निवेशकों के लिए लागत राशि का 15 फीसदी और किसान उत्पादक संगठन को 25 फीसदी तक पूंजीगत अनुदान दिया जाएगा. अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं को अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा. इसका मकसद किसानों की आय में वृद्धि करना है. कृषि व्यवसाय को बढ़ावा देना है. कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय की ओर से तकनीकी मदद भी दी जाएगी.
राज्य में सितंबर 2022 से अब तक 125 करोड़ रुपये लागत वाली 18 परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है. इसमें रेडी टू सर्व जूस, फल एवं सब्ज़ियों की कैनिंग, केले के चिप्स, आलू के चिप्स, मक्का आधारित स्नैक्स, मेज़ साइलेज, मेज़ ग्रिट, पशु आहार दाना (पशु एवं मुर्गी), मसालों, शहद एवं बीज की प्रसंस्करण इकाइयां हैं. मक्का की 11 प्रसंस्करण इकाई पर अनुदान दिया जा चुका है. दूसरे स्थान पर फल-सब्जी प्रसंस्करण इकाई हैं. इसके पांच प्रसंस्करण इकाई को मदद दी गई है. शहद व बीज प्रसंस्करण की एक-एक इकाई है.
फल-सब्जी के कई उत्पाद राज्य में उत्पादित होने वाले सब्जी और फलों में लीची, आम, अमरूद, केला, आलू, टमाटर, मशरूम, टमाटर आदि हैं. इससे रस, पेय पदार्थ, जैम, जेली, आचार, आदि बनाए जा सकते हैं.
शहद का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन बनाने से लेकर दवा निर्माण, मधुमक्खी मोम, पराग आदि में किया जा सकता है. इसके अलावा औषधीय और सुगंधित पौधे-आधारित उत्पाद को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. अनाज, दाल, फल, सब्जियों के बीज प्रसंस्करण इकाइयों को लेकर भी अनुदान दिया जा रहा है.
ये सात क्षेत्र हैं
मखाना, फल एवं सब्जी, शहद, औषधीय एवं सुगंधित पौधे, मक्का, चाय एवं बीज प्रसंस्करण.
बिहार मखाना उत्पादन में पहले स्थान पर है. जीआई टैग मिलने के कारण विदेशों में भी इसकी मांग ज्यादा है. मखाना, मखाना पाउडर, अलग-अलग स्वाद में मखाना की पैकिंग, खीर मिश्रण, चिप्स आदि तैयार किए जा सकते हैं. इसी तरह बिहार टी ब्रांड के चाय को राज्य सरकार बढ़ावा दे रही है. बिहार में अभी एक वर्ष में एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा चाय का उत्पादन हो रहा है.