नालंदा: एक से सात अगस्त तक जिला में विश्व स्तनपान सप्ताह सप्ताह मनाया जाएगा. वहीं विश्व स्तनपान दिवस मनेगा. जिला में गत पांच सालों में एक्सक्लूसिव स्तनपान कराने वाली महिालाओं की संख्या में 38 फीसद का इजाफा हुआ है. वर्ष 2018 में लगभग 60 फीसद महिलाएं ही एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग करवाती थीं. वहीं वर्ष 2023 में जिला की 98 फीसद महिलाओं ने पहले घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान कराया. आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग, सास-बहू सम्मेलन व गांवों में अभियान चलाने के कारण लोगों में स्तनपान को लेकर जागरूकता आयी.
इस कारण लोग स्तनपान कराने लगे. एसीएमओ डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि 60 के दशक में सौ फीसद महिलाएं स्तनपान करवाती थीं. धीरे-धीरे लोग मिथ्या अफवाहों के चक्कर में स्तनपान कराने में रुचि नहीं लेने लगीं. गत चार सालों से इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया गया. इसका असर दिखने लगा है. अब घरों में न के बराबर प्रसव होते हैं. अस्पतालों में आई महिलाओं को वहां के स्वास्थ्यकर्मी स्तनपान को लेकर उन्हें बताते हैं. स्तनपान को लेकर अब लोगों में काफी जागरूकता आयी है. स्वास्थ्य मेला, जांच शिविर जैसे आयोजनों में भी गर्भवती महिलाओं को इसकी जानकारी दी जाती है. इससे वे पहले सही मानसिक तौर से स्तनपान कराने के प्रति संवेदनशील रहती हैं.
स्तनपान कराने के फायदे
बच्चे के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. मां का दूध बहुत ही सुपाच्य व पौष्टिकता से परिपूर्ण होता है. इससे बच्चों में मृत्यु दर में कमी आती है. पहले छह माह तक मां का दूध बच्चों के लिए पर्याप्त. पूरक आहार के साथ दो साल तक बच्चों को कराएं स्तनपान.