
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बिहार | अब पुरुषों की तरह महिलाएं भी मोदी बंडी पहनेंगी. बंडी को तैयार भी महिलाएं ही कर रही हैं. बंडी आरामदायक होगी और ठंड से बचाव करेगी. यहां की महिलाएं बंडी को व्यापार का शक्ल दे रही हैं और विभिन्न राज्यों में इसे भेजने की तैयारी कर रही हैं. तिलकामांझी के अगम हैंडलूम की संस्थापक शिखा एमजे ने बताया कि भागलपुर में अभी तक पुरुषों के लिए ही मोदी बंडी बनायी जा रही थी. इस बार महिलाओं के लिए काफी संख्या में बंडी बनायी जा रही है. बंडी लिनन के कपड़ों में तैयार की जा रही है. लिनन के साथ कॉटन व सिल्क की बंडी भी बनायी जायेगी. इसमें ऊन को मिलाया जायेगा. इसके लिए कई महिलाएं ही बंडी बनाकर अपने परिवार की रोजी-रोटी की व्यवस्था कर रही हैं. उन्होंने बताया कि बंडी में प्रिंस कॉलर बनाया जायेगा. इसके साथ वी गला लुक दिया जायेगा. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू व वर्तमान प्रधानमंत्री के नाम से यह बंडी काफी फेमस है. कुछ दिन पहले ही सैंपल के तौर पर कुछ बंडी कोलकाता, दिल्ली व जयपुर के बड़े कारोबारियों को भेजी गयी थी. जिसके बाद ऑर्डर मिला है. साथ ही कुछ कंपनियों से भी बंडी को लेकर बातचीत चल रही है. शिखा ने बताया कि लिनन बंडी की कीमत 17 सौ से दो हजार रुपये, कॉटन 12 सौ से 15 सौ रुपये व सिल्क की बंडी 22 सौ से 25 सौ रुपये पड़ेगी. महिलाओं की मोदी बंडी में मंजूषा व मधुबनी पेंटिंग भी उकेरी जायेगी. शिखा ने बताया कि बंडी में हैंडवर्क अधिक होगा. इसके साथ मंजूषा व मधुबनी पेंटिंग इसमें उकेरी जायेगी. इस कारण इसकी खूबसूरती बढ़ेगी. साथ ही कई कलाकारों को भी काम मिलेगा. मंजूषा कलाकार मनोज पंडित ने बताया कि साड़ी में मंजूषा व मधुबनी पेंटिग उकेरी जा रही है.
हैंडलूम से होते हैं तैयार
कबीरपुर के रहने वाले सिल्क व्यवसायी मो. मुन्तजिर अंसारी ने बताया कि मोदी बंडी के कपड़े हैंडलूम से तैयार होते हैं. जबकि साधारण बंडी मिल के कपड़े से तैयार होती है. हैंडलूम की बंडी से चर्म रोग का खतरा नहीं होता है.
महिलाओं के आउटफिट में नहीं आती थी बंडी
खाटू श्याम मंदिर, मंदरोजा के सिल्क कारोबारी अजय कनोडिया ने बताया कि पहले महिलाओं के आउटफिट में बंडी नहीं आती थी. इसीलिए पुरुषों के लिए ही अधिकांश बंडी बनाई जाती थी. अब इस व्यवसाय में कई युवा आगे आ रहे हैं और अपनी सोच से सिल्क व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं. इसमें स्टार्टअप से जुड़े युवा सकारात्मक व प्रयोगात्मक कार्य कर रहे हैं. उसी का नतीजा है कि अब भागलपुर में महिलाओं की बंडी तैयार हो रही है.
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