न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
प्रशासन द्वारा यह कदम पटना संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम के दौरा करने के करीब 40 दिनों बाद उठाया गया है। बीते 13 जुलाई को पटना संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम ने पटना कलेक्ट्रेट के ध्वस्त किए गए हिस्से में विरासत कलाकृतियों का निरीक्षण किया था, जिसका उद्देश्य इन कलाकृतियों का मूल्यांकन और बचाव करना था।
विरासत और खंडहर किसी भी शहर की पहचान होते हैं। ऐसी ही विरासत और खंडहरों से शहर के गौरवशाली इतिहास का पता चलता है। राजधानी पटना में भी दुर्लभ विरासतों और खंडहरों की भरमार है। ऐसी ही एक विरासत एक रोड रोलर है, जिससे पटना की सड़कें बनवाई गई थीं। यह रोड रोलर लगभग 121 साल पुराना है और वर्षों से पटना के पुराने कलेक्टेरियट परिसर में जंग खा रहा है। इसे ब्रिटिश शासनकाल में सड़क निर्माण के लिए ब्रिटेन से 1900 ईस्वी में मंगाया गया था। लेकिन अब प्रशासन ने इसकी सुध ली है और इसे बुधवार रात शहर के म्यूजियम में स्थानांतरित किए जाने की संभावना है।
प्रशासन द्वारा यह कदम पटना संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम के दौरा करने के करीब 40 दिनों बाद उठाया गया है। बीते 13 जुलाई को पटना संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम ने पटना कलेक्ट्रेट के ध्वस्त किए गए हिस्से में विरासत कलाकृतियों का निरीक्षण किया था, जिसका उद्देश्य इन कलाकृतियों का मूल्यांकन और बचाव करना था। पटना संग्रहालय के विशेषज्ञों की एक टीम ने दौरे के दौरान दुर्लभ एक सदी से अधिक पुराने स्टीम रोड रोलर जिसका निर्माण एक ब्रिटिश कंपनी ने कराया था, एक अद्वितीय लटकता हुआ रोशनदान और एक पुरानी तिजोरी जो कि परिसर में डच युग की इमारत के एक कमरे में रखी गई है, का निरीक्षण किया था।
जॉन फाउलर एंड कंपनी लीड्स, इंग्लैंड द्वारा निर्मित रोड रोलर वर्तमान में गंगा नदी के तट पर स्थित ऐतिहासिक जिला अभियंता कार्यालय भवन के सामने एक खुले क्षेत्र में पड़ा हुआ है। इस कार्यालय भवन के एक हिस्से को नए कलेक्ट्रेट परिसर के लिए रास्ता बनाने के के लिए तीन जुलाई को ध्वस्त कर दिया गया था।
बताया गया है कि स्टीम रोड रोलर को स्थानांतरित किए जाने की प्रक्रिया बुधवार को आधी रात के करीब की जाएगी क्योंकि पास में चल रहे पटना मेट्रो परियोजना के काम के कारण कलेक्ट्रेट के ध्वस्त किए गए हिस्से के आसपास के क्षेत्र में हाइड्रोलिक क्रेन और इस तरह की अन्य बड़ी मशीनें दिन के समय प्रतिबंधित हैं। हालांकि, एक अन्य सूत्र ने कहा कि रोड रोलर "कल स्थानांतरित किया जाएगा"।
देश के विभिन्न हिस्सों के विरासत प्रेमियों ने 19 जुलाई को बिहार में संग्रहालय के अधिकारियों से प्राचीन स्टीम रोडरोलर और अन्य पुरानी वस्तुओं को "तत्काल स्थानांतरित" करने की अपील की थी। इसमें एक डच-युग की लटकती हुई रोशनदान, पुरानी सुरक्षा तिजोरी और एक पुरानी दीवार घड़ी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को कला और सांस्कृतिक विरासत समर्पित भारतीय राष्ट्रीय न्यास की एक याचिका को खारिज कर दिया था। जिसमें पटना कलेक्ट्रेट परिसर के विध्वंस का रोकने और ऐतिहासिक स्थल को विध्वंस से बचाने का अनुरोध किया गया था। इस मुद्दे पर विरासत निकाय वर्ष 2019 से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहा था।
पटना संग्रहालय ने कुछ दुर्लभ विरासत वस्तुओं को प्राप्त करने में रुचि दिखाई है। कचरे के ढेर पर पड़े इस रोड रोलर के इतिहास से लोग अपरिचित हैं। अगर रंग-रोगन और थोड़ी साफ-सफाई कर इसे म्यूजियम में लगा दिया जाए, तो यह शहर और म्यूजियम के लिए सम्मान की बात हो सकती है। कुछ समय पहले तक, इसके भारी लोहे के पहिये मिट्टी के ढेर में दबे हुए थे, और विंटेज रोड रोलर के बड़े पहिये अंततः खोदकर कर बाहर निकाले गए और यह मशीन वर्तमान में समाहरणालय के विशाल परिसर में एक समान सतह पर पड़ी है जो बचाव की प्रतीक्षा कर रही है।