बिहार

अब दिल्ली में ज्यादा 'दिख' रहे हैं नीतीश, सियासी गलियारों में उनकी मौजूदगी का अहसास होने लगा

Admin4
12 Aug 2022 1:47 PM GMT
अब दिल्ली में ज्यादा दिख रहे हैं नीतीश, सियासी गलियारों में उनकी मौजूदगी का अहसास होने लगा
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न्यूज़ क्रेडिट:navbharattimes

नई दिल्लीः नीतीश दिल्ली में नहीं हैं, लेकिन वह 'दिख' रहे हैं। राजधानी के सियासी गलियारों में उनकी मौजूदगी का अहसास होने लगा है। गुरुवार को अपने और पराए, दोनों ने उन्हें खूब याद किया। पटना में गुरुवार को जब नीतीश कह रहे थे कि पीएम बनने की बात उनके दिल में नहीं हैं, तब करीब-करीब उसी वक्त दिल्ली में उनके नए पार्टनर तेजस्वी उन्हें पीएम मटीरियल साबित करने में लगे थे। और वह भी सोनिया गांधी से मिलने से पहले ही। उन्होंने विपक्ष की तरफ से पीएम पद के चेहरे के लिए नीतीश का नाम उछाला और कहा कि मोदी पीएम बन सकते हैं तो नीतीश क्यों नहीं। चाचा के लिए तेजस्वी की इस चिंता और बेचैनी को समझा जा सकता है। लेकिन बीपी विपक्षी खेमे का भी बढ़-घट रहा है।

नीतीश को लेकर दूसरी तरह की बेचैनी विपक्षी खेमे में है। कांग्रेस के मन में ज्यादा होगा होगी, जाहिर है। दिल्ली पहुंचने पर तेजस्वी ने नीतीश की तरफ से जो दावेदारी ठोकी, वह 10 जनपथ को बहुत सुहाई नहीं होगी। यह लाजिमी है। कांग्रेस की ओर से इस बेचैनी का इजहार संदीप दीक्षित ने किया। तेजस्वी ने नीतीश के लिए जो 'पलटूराम' शब्द गढ़ा था, वह संदीप दीक्षित ने नीतीश के लिए इस्तेमाल किया। उन्होंने समझाया कि नेता ऐसा हो जो 2004 में सोनिया की तरह विपक्ष को एक डोर में बांध दे। गठबंधन ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो नाम भर का हों और वोट ही ट्रांसफर नहीं कर पाएं। यह कहने के साथ उन्होंने माया-अखिलेश को भी आईना दिखाया। उन्होंने शर्त रख दी कि व्यक्ति ऐसा होना चाहिए जो चार-पांच राज्यों में जाए तो उसे सुनने के लिए भीड़ आए। वह वोट खींच पाए। और फिर सवाल दागा- यह दोनों नीतीश में हैं क्या? साफ है कि कांग्रेस दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।

आने वाले दिनों में नीतीश की तरफ से दावेदारी जितनी बढ़ेगी, विपक्ष के अंदर वार-पलटवार का सिलसिला उतना ही तेज होगा। उनकी कमजोर को नस दबाया जाएगा। अब यह बिहार की सियासत के चाणक्य पर है कि वह कैसे दो साल के अंदर चीजों को अपने साधते हैं। संदीप दीक्षित ने नीतीश की कमजोर नस पर हाथ रखा भी और 2024 का पूरा भविष्य समझा दिया। उन्होंने कहा कि मान लीजिए कि 2024 में विपक्ष जीत जाता है। विपक्ष को 300 सीटें मिल जाती हैं। बीजेपी 180 ही पाती है। तो इसकी क्या गारंटी है कि हमारे 140 तोड़कर वह बीजेपी के साथ सरकार न बना लें?

इसका जवाब कुछ देर बाद जेडीयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से आया। उन्होंने साफ कहा कि नरेंद्र मोदी कोई हरा सकता है तो वह सिर्फ नीतीश ही हैं। मोदी के सामने पीएम पद के लिए जिस पर्सनैलिटी की जरूरत है, वह सिर्फ नीतीश कुमार में ही है। वही इस पर पूरी तरह से फिट हैं। योग्यता, अनुभव और काम को आधार माना जाए, तो नीतीश कुमार पीएम पद के लिए पूरी तरह से काबिल हैं। इसीलिए अगर मोदी को कोई हरा सकता है, तो वह नीतीश कुमार ही हैं। दिल्ली में तेजस्वी की आमद के साथ पहला राउंड था। 2024 तक आते आते इसके कई राउंड चलेंगे। 10 जनपथ से लेकर बीजेपी के मुख्यालय 6 दीनदायल उपाध्याय मार्ग तक यह सिलिसला आगे बढ़ेगा।

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