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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिजली सरेंडर करने का मूल कारण फिक्सड चार्ज में हुई अप्रत्याशित वृद्धि है। दरअसल बिजली खरीदें या नहीं, बिहार को उत्पादन कंपनियों को फिक्सड चार्ज देना पड़ता है। चूंकि बिहार में होने वाली बिजली खपत हर महीने अलग-अलग होती है। ऐसे में हर महीने बिजली खपत का आंकड़ा अलग-अलग होता है। इस परिस्थिति में बिजली कंपनी को फिक्सड चार्ज के तौर पर हर महीने करोड़ों रुपए देने पड़ रहे हैं। फिक्सड चार्ज का भार कंपनी पर अधिक बढ़ चुका है। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में कंपनी ने फिक्सड चार्ज के तौर पर 2716 करोड़ दिए थे। वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 3149 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 4335 करोड़ तो 2019-20 में बढ़कर 4988 करोड़ हो गए। वहीं 2020-21 में यह बढ़कर 6296 करोड़ हो गया। इस तरह चार साल में ही फिक्स चार्ज में 131 फीसदी की वृद्धि हो गई।