बिहार

अब NTPC की इन इकाइयों से बिजली नहीं खरीदेगा बिहार

Renuka Sahu
2 March 2022 2:46 AM GMT
अब NTPC की इन इकाइयों से बिजली नहीं खरीदेगा बिहार
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फाइल फोटो 

बिजली सरेंडर करने का मूल कारण फिक्सड चार्ज में हुई अप्रत्याशित वृद्धि है। दरअसल बिजली खरीदें या नहीं, बिहार को उत्पादन कंपनियों को फिक्सड चार्ज देना पड़ता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिजली सरेंडर करने का मूल कारण फिक्सड चार्ज में हुई अप्रत्याशित वृद्धि है। दरअसल बिजली खरीदें या नहीं, बिहार को उत्पादन कंपनियों को फिक्सड चार्ज देना पड़ता है। चूंकि बिहार में होने वाली बिजली खपत हर महीने अलग-अलग होती है। ऐसे में हर महीने बिजली खपत का आंकड़ा अलग-अलग होता है। इस परिस्थिति में बिजली कंपनी को फिक्सड चार्ज के तौर पर हर महीने करोड़ों रुपए देने पड़ रहे हैं। फिक्सड चार्ज का भार कंपनी पर अधिक बढ़ चुका है। आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में कंपनी ने फिक्सड चार्ज के तौर पर 2716 करोड़ दिए थे। वित्तीय वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 3149 करोड़, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 4335 करोड़ तो 2019-20 में बढ़कर 4988 करोड़ हो गए। वहीं 2020-21 में यह बढ़कर 6296 करोड़ हो गया। इस तरह चार साल में ही फिक्स चार्ज में 131 फीसदी की वृद्धि हो गई।

कहलगांव और फरक्का बिजली घर से बिहार बिजली नहीं लेगा। जल्द ही बिजली कंपनी इसके लिए एनटीपीसी से अपना करार खत्म करेगा। करार खत्म करने के लिए बिहार विद्युत विनियामक आयोग से अनुमति मांगी गई है। इसके लिए आयोग में याचिका दाखिल की गई है। इन दोनों इकाईयों से बिजली का करार खत्म कर बिहार हर साल 600 करोड़ की बचत करेगा। यह बचत उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने में सहायक होगा।
बीते दिनों सरकार के शीर्ष स्तर पर हुई समीक्षा बैठक में बिजली कंपनी का नुकसान कम करने की रणनीति पर मंथन हुआ। तय हुआ कि जिन इकाईयों से बिजली महंगी मिल रही है, उससे करार खत्म किया जाए। खासकर जिन बिजली घरों से करार की अवधि समाप्त होने वाली है, उसका करार रिन्युअल न हो। इसमें पाया गया कि कहलगांव व फरक्का बिजली घर से हुआ करार खत्म होने वाला है। कहलगांव स्टेज एक में कुल उत्पादन क्षमता 800 मेगावाट की है। इसमें से बिहार को 348 मेगावाट आवंटित है। फरक्का स्टेज एक व दो को मिलाकर बिजली घर की क्षमता 2100 मेगावाट की है। इसमें से बिहार को 508 मेगावाट आवंटित है। इन दोनों इकाईयों से हुआ 25 साल का करार पूरा हो चुका है। इसलिए बिहार 856 मेगावाट बिजली को सरेंडर करने की तैयारी में है।
देश से अधिक कीमत पर बिजली खरीद रहा बिहार
बिहार जिस कीमत पर आज बिजली की खरीदारी कर रहा है वह राष्ट्रीय औसत से अधिक है। केंद्र सरकार की की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार बिजली खरीद का राष्ट्रीय औसत 3.60 रुपए प्रति यूनिट है। जबकि बिहार का औसत खरीद 4.12 रुपए प्रति यूनिट है। वहीं बिहार से सस्ते दर पर पड़ोसी राज्यों को बिजली मिल रही है। ओडिशा को 2.77 रुपए प्रति यूनिट, झारखंड को 3.99 रुपए प्रति यूनिट तो पश्चिम बंगाल को 3.15 रुपए प्रति यूनिट ही बिजली मिल रही है।
कंपनी का मकसद लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराना है। कहलगांव व फरक्का से बिजली लेने का करार खत्म होगा। कोशिश है कि जरूरत के अनुसार लोगों को बिजली देने के लिए एनटीपीसी की अन्य इकाइयों से 600 मेगावाट बिजली ली जाए, जो सस्ती हो।
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