पटना: राज्य का दूसरा सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज एनएमसीएच प्राध्यापक (प्रोफेसर) व अन्य शिक्षकों की कमी झेल रहा है. यहां 28 विभागों में पढ़ाई जारी है. इनमें से 26 विभागों में एक भी प्रोफेसर नहीं है.
प्रोफेसरों की कमी के कारण मेडिकल कॉलेज में न तो शोध हो रहा है और न ही बेहतर पढ़ाई. प्रोफेसरों की कमी से कई विभागों की मान्यता पर भी तलवार लटकी है. नेशनल मेडिकल काउंसिल के प्रावधानों के मुताबिक पीजी की पढ़ाई के लिए उस विभाग में प्रोफेसर का होना जरूरी है. उनके मार्गदर्शन में किए गए शोध को ही मान्यता मिलेगी. लेकिन एनएमसीएच में मात्र शिशु रोग विभाग और स्त्रत्त्ी व प्रसूति रोग विभाग में ही दो-दो प्रोफेसर हैं. प्लास्टिक सर्जरी विभाग में न तो प्रोफेसर, न एसोसिएट और न ही असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात हैं. यहां शिक्षकों के सभी पद खाली हैं.
पिछले कई वर्षों से नहीं हुआ शोध
प्राध्यापकों की कमी पिछले कई वर्षों से बनी हुई है. इस कारण पीजी छात्रों के शोध बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. एनएमसीएच में कई वर्षों से ऐसा कोई शोध नहीं हुआ, जिसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर हुई हो. एनएमसीएच से सेवानिवृत्त हुए एक वरीय प्रोफेसर ने कहा कि पढ़ाई व शोध में गुणवत्ता तभी आएगी, जब प्रत्येक विभाग में जरूरत के मुताबिक नियुक्तियां हो.