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पटना, (आईएएनएस)| बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में शामिल जनता दल यूनाइटेड की प्रवक्ता रही सुहेली मेहता ने पार्टी छोड़ दी। सुहेली मेहता ऐसी एकमात्र जदयू की सदस्य नहीं हैं, जिसने पार्टी छोड़ी हो। पिछले कुछ महीनों में कई बड़े ओहदे पर रहे जदयू के नेताओं ने पार्टी छोड़ी है।
कहा जाने लगा है कि नीतीश की अपनी ही पार्टी में भगदड़ वाली स्थिति है और मुख्यमंत्री विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि सुहेली मेहता भाजपा का दामन थाम सकती हैं, हालांकि इसकी घोषणा अब तक नहीं की गई है।
पिछले कुछ महीनों के अंदर देखे तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे है। मुख्यमंत्री इस अभियान के तहत विपक्षी दलों के कई नेताओं से मिल भी चुके हैं।
पिछले वर्ष जदयू एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हुई थी और बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी। इसके बाद जदयू के संसदीय बोर्ड के प्रमुख रहे उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू को छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली।
इसके बाद पूर्व सांसद मीना सिंह ने भी जदयू को बाय-बाय बोल दी। जदयू के प्रवक्ता रहे माधव आनंद ने भी जदयू से किनारा कर लिया और अलग राह पकड़ ली। इसके अलावा जदयू के पूर्व प्रदेश शंभू नाथ सिन्हा ने भी जदयू से नाता तोड़ दिया है।
राजनीति के जानकार अजय कुमार कहते हैं कि पूरी तरह यह मान लेना कि जदयू से लोगों का मोहभंग हो रहा है सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगले साल लोकसभा चुनाव है जबकि 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव है। टिकट की चाह में नेता क्षेत्रीय समीकरण को देखकर पाला बदल रहे है। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में जदयू एनडीए के साथ था।
कुमार कहते है कि जदयू छोड़ने का एक कारण गुटबाजी भी है। जदयू से नाता तोड चुके आर सी पी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा पार्टी ने बड़े नेता थे, ऐसे में उनके समर्थक भी पार्टी छोड़ रहे हैं।
वैसे, भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं कि जब बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ही अप्रासंगिक हो गए हैं तो लोग उनका साथ तो छोड़ेंगे ही। उन्होंने कहा कि जदयू की नाव अब डूबने वाली है तो इसपर कौन सवारी करना चाहेगा? उन्होंने दावा किया कि अभी कई और नेता जदयू छोड़ेंगे।
--आईएएनएस
Rani Sahu
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