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बिहार | दो अक्टूबर 2023 को बिहार सरकार की ओर से जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की गई जिसके बाद बीजेपी के कई नेताओं ने इस रिपोर्ट को आधी-अधूरी बता दी।इस बीच आज मीडिया से बातचीत में जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के मना करने के बाद बिहार सरकार ने जातीय गणना कराई ताकि कमजोर वर्ग की वास्तविक संख्या का पता चल सके. उसके आधार पर विकास कार्यक्रमों में मदद मिले. बिहार सरकार की अब जल्द आर्थिक सर्वेक्षण पेश किए जाने की मंशा है।जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी का आरोप है कि जल्दबाजी में जातीय गणना सर्वे कराई गई और इसमें कई खामियां हैं।
बीजेपी के आरोप में कोई दम नहीं है. बीजेपी डरी हुई है. जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।बता दें कि जातीय सर्वे की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई थी. सीएम नीतीश कुमार खुद इस विभाग के मुखिया हैं. बिहार में जातिगत गणना के लिए टीम डोर टू डोर पहुंची थी. इसमें राज्य के शिक्षकों और आंगनबाड़ी की मदद ली गई थी. सरकार ने मोबाइल फोन एप के जरिए हर परिवार का डेटा डिजिटली इकट्ठा करने की योजना बनाई थी. वहीं घर-घर पहुंचे सर्वे टीम के पास एक फॉर्म भी था, जिसमें कुछ कॉलम लोगों से जानकारी लेकर भरने थे. मोबाइल फोन एप और फॉर्म दोनों का उपयोग हुआ. इस सर्वे में शामिल लोगों को आवश्यक ट्रेनिंग दी गई थी. पांच लाख लोगों को सर्वे के काम में लगाया गया था।
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Harrison
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