साढ़े नौ लाख को करना था साक्षर एक भी निरक्षर नहीं तलाश पाए
बक्सर न्यूज़: सूबे में साढ़े नौ लाख को साक्षर करना था. लेकिन, 38 जिलों के अधिकारी एक भी निरक्षर नहीं तलाश पाए हैं. केंद्र सरकार के नव भारत साक्षर कार्यक्रम के तहत सभी जिलों के लिए लक्ष्य तय किए गए थे. 15 दिसंबर तक निरक्षरों की पहचान और वालंटियर तय करने का आदेश दिया गया था. लेकिन, अब तक न तो वालंटियर तलाशे गए और न ही निरक्षरों को चिह्नित किया गया.
मुजफ्फरपुर में 1928 वालंटियर तय कर 28923 निरक्षरों की तलाश करनी थी. शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव ने लापरवाही पर सभी जिलों से जवाब मांगा है. यही हाल, राज्य सरकार की अक्षर आंचल योजना का भी है. जिले में पांच प्रखंडों का ही साक्षरता परीक्षा का रिजल्ट आया है जबकि साढ़े 12 हजार महिलाओं के इस परीक्षा में शामिल होने की रिपोर्ट दी गई थी. संयुक्त सचिव संजय कुमार ने निर्देश दिया है कि सभी जिले ऑनलाइन सर्वेक्षण एप से 24 घंटे में इस पर रिपोर्ट दें. साथ ही कहा कि रिपोर्ट नहीं देने वाले अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक पर कार्रवाई की जाएगी.
हाईस्कूलों में वॉलंटियर बनाने का काम भी नहीं हो सका
निरक्षरों को चिह्नित कर उन्हें पढ़ाने के काम में वॉलंटियर के तौर पर हाईस्कूल के बच्चों से लेकर सामाजिक सगंठन के सदस्यों को लगाना था. डीईओ अजय कुमार सिंह ने कहा कि पंचायत स्तर पर इनकी सूची बनानी है. साक्षरता कर्मियों को इसकी जवाबदेही दी गई है. इन सभी से रिपोर्ट मांगी गई है.
महिला साक्षरता कार्यक्रम पर हर साल जिले में खर्च होते हैं 8-12 करोड़
राज्य सरकार की ओर चलाए जा रहे महिलाओं के साक्षरता कार्यक्रम पर हर साल 8 से 12 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. वहीं, हर साल साढ़े 12 हजार तक महिलाओं के साक्षर होने की रिपोर्ट दी जाती है. लेकिन, इन महिलाओं की सही से पहचान नहीं हो पाती है.