रोहतास न्यूज़: शहर की सफाई नगर निगम व एनजीओं के बीच हुए एकरारनामे के अनुसार नहीं हो रही है. बावजूद एनजीओ पर अधिकारियों की मेहरबानी बनी हुई है. सफाई में विफल रहने के बाद भी एनजीओ का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. सफाई कार्य में विफल रहने पर नगर आयुक्त ने पत्र के माध्यम से कई बार एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगी है. लेकिन, नगर निगम की सफाई कार्य में नए एनजीओ के चयन के लिए बरती जाने वाली शिथिलता कई सवाल खड़े करने लगे हैं.
एनजीओ का कार्यकाल 15 फरवरी को समाप्त होने के बाद से लगातार अवधि विस्तार किया जा रहा है. अभी तक सफाई कार्य में लगी सीबीएस का अवधि विस्तार चार बार किया गया है. एकरारनामे के अनुसार सफाई एनजीओ को डोर-टू-डोर गीला व सूखा कचरे को अलग-अलग संग्रह कर उसे निर्धारित डंपिंग प्वाइंट पर निस्तारण करना है. लेकिन, गलियों में प्रत्येक दिन डोर-टू-डोर कचरा संग्रह नहीं किया जाता है. वहीं गीला व सूखा कचरा को एक साथ ही संग्रह शहर कर आबादी के बीच ही डंपिंग किया जाता है. वहीं वार्डों में नियमित झाड़ू लगा कर संग्रह किए गए कचरे का निस्तारण करने में भी एनजीओ विफल रही है. यही वजह है कि पूरे शहर में गंदगी का अंबार लगी है. वहीं एनजीओं को साल में दो बार नालों की उड़ाही पेंदी से करनी है. बावजूद नालों की स्थिति बद से बदतर है. कई नालों की सफाई कई वर्षों से नहीं हुई है. नालों की सफाई नहीं होने के कारण शहर की कई मोहल्लों में गर्मी के दिनों में भी जलजमाव की स्थिति बनी रहती है. वहीं सप्ताह में एक बार नालियों की भी सफाई करनी है. लेकिन, नालियों की भी सफाई नहीं होती है. जिस कारण नालियां भरी रहती है.
नगर निगम में नहीं करायी जाती है फॉगिंग
नगर निगम क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप से बचाने को लेकर फॉगिंग करना है. लेकिन, शहर में कभी-कभार ही फॉगिंग होती है. वहीं नालियों में एंटीलार्वा का भी छिड़काव कराना है. बावजूद मच्छरों के प्रकोप से शहरवासियों को बचाने को लेकर सफाई एनजीओ द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाता है.