मुजफ्फरपुर: अस्पतालों में उपलब्ध दवाओं का समय से सदुपयोग व उसकी एक्सपायरी रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई नीति बनाई है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार तिथिवाद औषधि निस्तारण नीति तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है. इसके तहत राज्य मुख्यालय से लेकर रेफरल अस्पताल तक विशेष कमेटी काम करेगी. दवाओं की एक्सपायरी होने से पहले अलर्ट का इंतजाम किया गया है. नई नीति में यह भी प्रावधान किया गया है कि अगर एक जिले में दवा की खपत नहीं हो रही है तो उसे दूसरे जिले में भेजा जाएगा.
दवाओं को लेकर 1996 में नीति बनी थी लेकिन वह अधिक प्रभावी नहीं थी. 27 साल बाद नई (संशोधित) नीति बनाने का मकसद अस्पतालों में उपलब्ध दवाओं का और बेहतर उपयोग करना है. इसलिए दवाओं की एक्सपायरी न हो, इसके लिए आवश्यकता आधारित आकलन का इंतजाम किया गया है. जरूरत के अनुसार ही स्वास्थ्य संस्थान दवाओं की मांग करेंगे. इसके लिए बीते वर्षों में दवाओं की हुई खपत, मरीजों की संख्या में वृद्धि, बीमारियों का प्रसार आधार बनाया जाएगा. एक से 10 जनवरी के बीच अप्रैल, मई व जून के लिए, एक से 10 अप्रैल के बीच जुलाई, अगस्त व सितम्बर के लिए, एक से 10 जुलाई के बीच अक्टूबर, नवम्बर व दिसम्बर जबकि एक से 10 अक्टूबर के बीच जनवरी, फरवरी व मार्च के लिए दवाओं की मांग की जाएगी. सभी स्वास्थ्य संस्थानों को कहा गया है कि वे अनिवार्य रूप से दवाओं को डीवीडीएमएस पोर्टल पर अपलोड करें. दवाओं को उचित वातावरण में भंडारण करने को कहा गया है.
दवाओं की एक्सपायरी छह महीने से कम रहने पर पहला अलर्ट, तीन माह रहने पर दूसरा, एक माह होने पर तीसरा जबकि अंतिम महीने में हरेक सप्ताह बीएमएसआईसीएल को अलर्ट करने को कहा गया है. संस्थान के निदेशक, अधीक्षक, उपाधीक्षक प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, फॉर्मासिस्ट, भंडारपाल को यह जिम्मेवारी दी गई है. अगर दवाओं की खपत कम हो रही है तो उसे तीन महीने पहले बगल के जिलों में भेजने को कहा गया है.
किसी भी हाल में दवा एक्सपायर न होने दें प्रभारी
अस्पताल के प्रभारियों को जिम्मेवारी दी गई है कि वे किसी भी परिस्थिति में दवाओं को एक्सपायर न होने दें. अपवादस्वरूप तिथिवाद या क्षतिग्रस्त औषधियों को चिह्नित करने एवं नियमानुकूल कार्रवाई के लिए कमेटी बनाई गई है. बीएमएसआईसीएल के स्तर पर इस कमेटी के अध्यक्ष प्रबंध निदेशक होंगे. मेडिकल कॉलेज में अधीक्षक, जिलास्तर पर सिविल सर्जन, सदर अस्पताल पर अधीक्षक या उपाधीक्षक, अनुमंडलीय, रेफरल व सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए उपाधीक्षक या प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है.
दवाओं की एक्सपायरी रोकने के लिए नई नीति बनाई गई है. नीति में तय प्रावधानों को कठोरता से अनुपालन किया जाना है. इसके लिए संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दे दिया गया है. -प्रत्यय अमृत, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग