नई पीढ़ी के अफसर सुदूरवर्ती इलाकों में काम नहीं करना चाहते
मुजफ्फरपुर न्यूज़: राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में नई पीढ़ी के अफसर काम करना नहीं चाह रहे हैं. बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) से चयनित अभ्यर्थियों को श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी (एलईओ) का पद नहीं भा रहा है. पिछले पांच वर्षों में 60 से अधिक एलईओ श्रम संसाधन की सेवा को छोड़ दूसरे विभागों में चले गए. इस साल भी 21 एलईओ ने बीपीएससी की परीक्षा में शामिल होने के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लिया है. अगर इनकी नियुक्ति दूसरे विभागों में हो जाएगी तो ये एलईओ की सेवा को छोड़ देंगे. इस तरह नौकरी छोड़े जाने के कारण ही एलईओ के स्वीकृत 545 पदों के विरुद्ध लगभग 350 ही पदाधिकारी कार्यरत हैं. इस कारण दर्जनों एलईओ पर एक से अधिक प्रखंडों की जिम्मेवारी है.
दरअसल, बीपीएससी परीक्षा पास करने के बाद श्रम संसाधन में दो पदों श्रम अधीक्षक और एलईओ की बहाली होती है. बिहार श्रम सेवा के तहत श्रम अधीक्षक जबकि नियमावली के आधार पर एलईओ की बहाली होती है. लेकिन श्रम अधीक्षक जिलास्तर तो एलईओ प्रखंड स्तर पर तैनात होते हैं. समस्या यहीं हो रही है. बीपीएससी की परीक्षा में अधिक अंक लाने के बावजूद अभ्यर्थी एलईओ बन जा रहे हैं जबकि कम अंक लाने वाले श्रम अधीक्षक बन जा रहे हैं. ऐसे में विभाग में एलईओ योगदान के दिन से ही वे कनीय हो जा रहे हैं. एलईओ से विमुख होने के पीछे अन्य कारण भी है. मसलन, प्रखंड स्तर पर तैनात होने वाले दूसरे विभागों के अधिकारी अधिक वेतनमान पर बहाल होते हैं. जबकि एलईओ को कम वेतनमान मिलता है. कार्मिक विभाग के निर्देश के बावजूद व्यवहारिक रूप से बीते कई वर्षों से श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों की पदोन्नति नहीं की गई है. पिछले 20 वर्षों में मात्र 10 एलईओ ही पदोन्नत हुए होंगे. वर्षों पहले नियुक्त हुए एलईओ को एसीपी का समाधान नहीं हुआ. प्रखंड/ अंचल में ये इकलौते अधिकारी होते हैं जिनके लिए न तो कोई कार्यालय है और न ही कार्यपालक सहायक या कार्यालय कर्मी. नियुक्त पदाधिकारियों की सेवा संपुष्टि दशकों तक लंबित रखी जा रही है.
श्रम संसाधन को उठाने होंगे ठोस कदम: विभाग को छोड़ रहे एलईओ को रोकने के लिए श्रम संसाधन को ठोस कदम उठाने होंगे. एलईओ को मूलभूत सुविधा अर्थात कार्यालय, सहायक कर्मी व जरूरी उपस्कर तथा पंचायत स्तर पर कर्मी उपलब्ध कराने होंगे. दूसरे राज्यों की तर्ज पर ही श्रम पक्ष से एक पदों पर बहाली हो. श्रम अधीक्षक और एलईओ के अलग-अलग चयन की प्रासंगिकता नहीं है. बिहार श्रम सेवा का मूल कैडर एलईओ हो और बाकी पदों को प्रोमोशन से भरे जाएं. सहायक श्रम आयुक्त को जिला स्तर का पद बनाया जाए और श्रम अधीक्षक के पद समाप्त हो. अधिक अंक लाकर एलईओ और कम अंक में श्रम अधीक्षक की पोस्टिंग को समाप्त करना होगा.
श्रम अधीक्षक व एलईओ की नियुक्ति को तत्काल बंद किया जाना चाहिए. सरकार की ओर से न तो प्रोमोशन और न ही बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं. सरकार की ओर से जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए तो एलईओ की ओर से विभाग छोड़ने का सिलसिला यूं ही जारी रहेगा. - संजीव कुमार चौधरी, अध्यक्ष, बिहार राज्य श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी संघ