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बिहार | दुर्गापूजा में इस बार जगदेव पथ का पंडाल में आदियोगी शिव की अद्भुत झलक दिखाई देगी. भगवान शिव की 18 फीट ऊंची भव्य प्रतिकृति होगी. भगवान शिव की जटा 18 फीट से अधिक लंबी होगी. इस जटा में मां गंगा बहती दिखेंगी. श्रद्धालुओं को यह दृश्य बेहद आकर्षित करेगा.
पंडाल के अंदर एक गुफा बनाई जा रही, जिसमें मां दुर्गा, मां सरस्वती, गणेश जी और कार्तिक जी को विराजमान पाएंगे. भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और महिषासुर के बीच युद्ध दिखाया जाएगा. पंडाल के बाहर एक झांकी तैयार हो रही है. यह साउंड सिस्टम से लैस होगा. यह चलंत झांकी होगी. भ्रूण हत्या पर झांकी निकाली जाएगी. 15 मिनट तक झांकी को दिखाया जाएगा. यह झांकी बोलेगी और चलेगी. नौ मूर्तियां इसमें रहेंगी. पंडाल में जंगल, पहाड़, झरने सभी दिखाई देंगे. पूजा पंडाल निर्माण पर करीबन 12 लाख रुपये खर्च होंगे. पंडाल को जोर-शोर से तैयार किया जा रहा है. इस पंडाल में काफी ऐसे काम किए जा रहे हैं, जिससे नजारा काफी आकर्षक होगा. आयोजकों के अनुसार इस बार देवी पूजन बांग्ला विधि-विधान से ही की जाएगी. प्रसाद का वितरण सप्तमी से शुरू होगा. श्रद्धालुओं के बीच सप्तमी को मकुनदाना, अष्टमी को खीर और नवमी को खिचड़ी मिलेंगे. श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए समिति के स्वयंसेवक लगातार मुस्तैद रहेंगे.
माता को भोग लगाने के बाद होगा प्रसाद का वितरण
श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण के लिए तीन क्विंटल प्रसाद बनेंगे. प्रसाद की खासियत यह होगी कि पूरी तरह सेंधा नमक में आम की लकड़ी पर बनाई जाएगी. प्रसाद वितरण का समय पूजन के दूसरे अध्याय समाप्ति बाद जब माता को भोग लग जाएगा. उसके बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण शुरू होगा.
आयोजन समिति
पूजा की शुरुआत वर्ष 1999 से
अध्यक्ष संतोष सिंह, सचिव अजय कुमार, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार, मूर्तिकार जगन्नाथ पाल
● मून क्लब जगदेव पथ पूजा समिति की ओर से दुर्गापूजा का हो रहा है आयोजन
1999 से बनाए जा रहे पंडाल
मून क्लब जगदेव पथ दुर्गा पूजा समिति के कोषाध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने बताया कि हर साल हमारे यहां खास पंडाल बनाए जाते हैं. हम लोग 1999 से लगातार पूजा करते आ रहे हैं. इस बार के आदियोगी शिव को पंडाल में दिखाने का प्रयास किया जा रहा है. पंडाल बनाने की तैयारी तेजी से चल रही है. इसमें लगभग 20 कारीगर काम कर रहे हैं. पंडाल निर्माण करने वाले सभी कारीगर अलग-अलग जगहों के हैं. झांकी और आदियोगी शिव की प्रतिकृति के साथ पहाड़ गया के कलाकार संतोष कुमार और झारखंड जामताड़ा के कलाकार मूर्तिघर का निर्माण कर रहे हैं. वहीं कोलकाता के जगन्नाथ पाल प्रतिमा का निर्माण कर रहे हैं. ये 1999 से प्रतिमा बनाते आ रहे हैं.
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Harrison
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