बिहार

राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने कृषि कानून को केंद्र सराकर की मजबूरी बताया

Shantanu Roy
19 Nov 2021 11:42 AM GMT
राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने कृषि कानून को केंद्र सराकर की मजबूरी बताया
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राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों ( three Agricultural Laws) को वापस लेने की घोषणा कर दी.

जनता से रिश्ता। राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों ( three Agricultural Laws) को वापस लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद विपक्षी पार्टियां इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साध रही हैं. आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Yadav) ने कहा कि विपक्ष और किसानों के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है.राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि विपक्ष और किसानों के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. यह बिल किसानों के हित के लिए बिल्कुल नहीं था. इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होता. अगले साल पांच राज्यों में चुनाव होने हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है.

राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि विपक्ष और किसानों के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. यह बिल किसानों के हित के लिए बिल्कुल नहीं था. इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होता. अगले साल पांच राज्यों में चुनाव होने हैं. उसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है.
बता दें के पीएम मोदी ने आज तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि किसानों के हित के लिए हम यह बिल लाए थे. लेकिन किसानों के एक वर्ग को हम लोग समझा नहीं पाए. इस कानून को वापस लेने के लिए किसान संगठन पिछले 1 साल से लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि इस कानून को जल्द से जल्द वापस लिया जाए. विपक्षी दल भी लगातार आंदोलन कर रहे थे और इस बिल को वापस लेने का दबाव केंद्र सरकार पर डाल रहे थे.
पीएम मोदी ने ये भी कहा कि कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं. किसानों को कानूनों के बारे में अनेक माध्यमों से समझाने का भरपूरा कोशिश की गई. लेकिन वह समझ नहीं पाए. उन्होंने कहा कि हमने किसानों की बातों और उनके तर्क को समझने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. जिन कानूनों पर ऐतराज था उनको समझने में सरकार ने भरपूर कोशिश की गई.


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