बिहार
बिहार के बेगूसराय में 10 से 13 फरवरी तक होगा गंगा समग्र का राष्ट्रीय अधिवेशन
Shantanu Roy
18 Dec 2022 6:48 PM GMT
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बेगूसराय। बिहार के बेगूसराय में 10 से 13 फरवरी तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकल्प गंगा समग्र का राष्ट्रीय सम्मेलन होगा। गंगा ग्लोबल ज्ञान परिसर में होने वाले इस सम्मेलन में देशभर के एक हजार प्रतिनिधि शामिल होंगे। राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारी तेज हो गई है तथा इसकी सफलता के लिए बेगूसराय में गंगा समग्र उत्तर बिहार प्रांत की बैठक कर कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया गया है। यह जानकारी रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में गंगा समग्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ लल्लू बाबू, राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामशीष जी और उत्तर बिहार प्रांत संयोजक सर्वेश कुमार ने दी। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरेन्द्र कुमार सिंह उर्फ लल्लू बाबू ने कहा कि सकारात्मक विचार का प्रवाह बनाना गंगा समग्र का कार्य है। संस्कृति के क्षरण से जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जल और वायु का संबंध सबसे है, इस दोनों में प्रदूषण इंसान ने फैलाया है तो इसका समाधान भी इंसान को ही करना होगा। आज गंगा पर तीन तरफ से खतरा मंडरा रहा है। नदियों का सीमांकन नहीं हो रहा है, गलत तरीके से खनन हो रहा है, जिससे एभवरेशन 46 प्रतिशत हो गया है। 2024 तक हम सतर्क नहीं हुए तो मात्र चार प्रतिशत पानी बचेगी। जल संचयन के लिए सरकार और समाज सबको कार्य करना होगा, गंगा समग्र दोनों को सतर्क कर रही है। आज कहलगांव में गंगा की गहराई तीन सौ फीट है, लेकिन कानपुर में लोग गंगा पैदल पार करते हैं, इस स्थिति को समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि कुआं से सब चीज मिलता था, लेकिन चापाकल का उपयोग करके हमने बहुत बड़ी गलती की है, बीमारी काफी बढ़ गई। कुंआ का पुनर्जागरण भी गंगा समग्र कर रही है, क्योंकि अति आवश्यक आवश्यकता जल और पर्यावरण का शुद्धिकरण जरूरी है।
दुनिया में गंगा ही एक ऐसी नदी है जो सांस लेती है, लेकिन गाद के कारण सांस पर बाधा गई है। गंगा सहित सभी नदियों से गाद निकालने से ही वाटर लेवल कंट्रोल होगा। सभी लोगों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग अपनाना होगा, हर परिवार पेड़ लगाएं, यह समाज को बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है। ऑक्सीजन की कैसी जरूरत पड़ती है यह कोरोना ने समझाया। सिर्फ पेड़ ही नहीं, वातावरण की शुद्धता के लिए हर जगह तुलसी का पौधा भी बहुत जरूरी है। उत्तर बिहार प्रांत संयोजक सर्वेश कुमार ने कहा कि गंगा समग्र अपने स्थापना काल से ही नदियों के गाद प्रबंधन नीति की मांग कर रहा है। गाद के कारण गंगा सहित अन्य नदियों की गहराई सीमित और चौड़ाई बढ़ रहा है। शनिवार को कोलकाता में आयोजित पूर्वी क्षेत्र की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केन्द्र सरकार गाद प्रबंधन के लिए जल्द ही नीति लाएगी। गंगा सहित सभी नदियों का बेहतर स्वास्थ्य, जल का संरक्षण और संवर्धन का प्रयास गंगा समग्र करती है, इसके लिए समाज को जागरूक कर रही है। बेगूसराय में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में जल संरक्षण एवं संवर्धन को गति मिलेगी। गंगा समग्र के 15 आयामों को तीन भाग में बांटकर एक ओर आस्था और संस्कृति का पुनर्जागरण, दूसरी ओर समूह बनाकर जागरूकता और तीसरी ओर पर्यावरण सुरक्षा जागरण किए जा रहे हैं। गंगा के सभी सहायक नदियों पर भी कार्य करना है तथा जितने भी जल स्रोत हैं सभी को जल तीर्थ बनना है, सभ्यता में जल पूजन के विधान से प्रेरणा लेकर जल तीर्थ नाम दिया गया है। गंगा की निर्मलता और अविरलता कायम रखने के लिए सभी स्तर पर काम करने की जरूरत है। गंगा को स्वच्छ रखने और इसे बचाने का जिन लोगों ने भी संकल्प लिया है, वह समाज के साथ-साथ ईश्वर की सेवा कर रहे हैं।
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