बिहार

रेड लाइट एरिया से निकल कर NHRC की सदस्य‌ बनीं नसीमा खातून

Rani Sahu
12 Nov 2022 3:13 PM GMT
रेड लाइट एरिया से निकल कर NHRC की सदस्य‌ बनीं नसीमा खातून
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पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर की नासीमा खातून लड़कियों के लिए मिशाल बनकर उभरी है। नसीमा देश की सर्वोच्च न्यायिक संगठन मानव अधिकार आयोग की ओर से मानवाधिकार रक्षकों और गैर सरकारी संगठनों पर NHRC (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) के सलाहकार कोर ग्रुप की मेंबर के रूप में चुनी गई हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सलाहकार कोर ग्रुप कि सदस्य‌ की सूची जारी की गई है।‌ उसमें वंचित समाज से आने वाली परचम संगठन की सचिव नसीमा खातून को भी नॉमिनेट किया गया है। इसके बाद से देश के कोने-कोने के रेड लाइट एरिया में खुशी की लहर दौड़ गई है। सभी अपनी खुशी मिठाईयां बांट कर व्यक्त कर रहे हैं।
रेड लाइट की लड़कियों के अधिकार के लिए लगातार कर रही हैं काम
नसीमा ने कहा कि वंचित समाज के हक और अधिकार की लड़ाई अब आगे बढ़ रही है। अपने समाज के सभी बुजुर्गों के आशीर्वाद और साथियों के प्यार और कामना से बड़ी जवाबदेही राष्ट्रीय स्तर पर मिली है। देश की सर्वोच्च न्यायिक संगठन मानव अधिकार आयोग की ओर से मानवाधिकार रक्षकों और गैर सरकारी संगठनों पर NHRC के सलाहकार कोर ग्रुप कि सदस्य के रुप में शामिल होने का मौका दिया गया है। इस मौके का वह भरपूर फायदा उठाएंगी और रेड लाइट की बेटियों के हक के लिए आवाज उठाएंगी। उनके जीवन को बेहतर करने के लिए उनके अधिकार के लिए वह काम कर रही है और आगे भी करती रहेंगी।
लोगों को हक के लिए कर रही हैं जागरूक
बिहार के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के 38 जिलों में रेड लाइट एरिया है। कहीं बड़े तो कहीं छोटे रूप में। वह रेड लाइट एरिया की बेटी है। यहां जन्म ली पढी और पिछले दो दशक से रेड लाइट एरिया के लोगों को संवैधानिक अधिकार दिलाने, यहां की बेटियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए पहल कर रही है। इसी कड़ी में वह परचम संगठन के माध्यम से जगह-जगह पर जागरुकता अभियान कर लोगों को शिक्षा और अपने अधिकार के प्रति जागरूक कर रही है।‌
मुजफ्फरपुर रेड लाइट एरिया में बीता बचपन
नसीमा खातून का जन्म मुजफ्फरपुर जिले के चतुर्भुज स्थान के पास रेड लाइट एरिया में हुआ। वो वहीं पली-बढ़ी हैं। नसीमा ने रेड लाइट एरिया में गरीबी, शिक्षा का अभाव पुलिस के छापे और सबकुछ को देखा है। जिसका शायद कोई समान्य लड़की कल्पना तक न कर सकें। उन्होंने 1995 में आईएएस अधिकारी राजबाला वर्मा ने यौनकर्मियों और उनके परिवारों के लिए एक कार्यक्रम चलाया था। जिसके उन्होंने अपने जीवन को बेहतर करने के लिए दाखिला लिया। यहां वे काम करके 500 रुपये प्रतिमाह तक कामने लगी। इसके बाद नसीमा ने एक एनजीओ के जरिये अपनी बुनियादी शिक्षा मुंबई में जाकर पूरी की।
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