नरेन्द्र मोदी ने खेल को समाज का आंदोलन बना दिया: राकेश सिन्हा
पटना: बढ़ते शहरीकरण में लोगों ने अपने पारंपरिक खेल को भुला दिया। आजादी के बाद नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं, जो स्थानीय खेल को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। सभी सांसदों को सांसद खेल प्रतियोगिता कराने का निर्देश दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खेल को समाज का आंदोलन बना दिया है। यह बातें राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने गुरुवार को बेगूसराय में पत्रकारों से बात करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि खेल में राजनीति और राजनीति में खेल से बाहर आकर रचनात्मक कार्य करने की पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की है। देशभर में विभिन्न जगहों पर सांसद खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से गांव की प्रतिभा को निखारने के लिए यह प्रतियोगिता आयोजित कराने का अनुरोध किया लेकिन विपक्ष की हालत यह है कि नरेन्द्र मोदी कह दें कि कैलाश पर्वत है तो विपक्ष के संसद कहेंगे कि भारत में तो कैलाश नाम की कोई चीज ही नहीं है, यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
उन्होंने कहा कि बेगूसराय में 26 फरवरी से चल रहे सांसद खेल प्रतियोगिता में कम प्रचार के बावजूद तीन हजार से अधिक खिलाड़ियों का शामिल होना बता रहा है कि यहां हर गांव की मिट्टी में प्रतिभाएं छुपी हुई है। इस प्रतिभा को पहचानने, प्रोत्साहित करने, प्रश्रय और अवसर देने की जरूरत है। स्टेडियम, खेल का मैदान और कोई भी व्यवस्था नहीं रहने के बावजूद खिलाड़ी बेहतर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता के समापन के बाद खेलो इंडिया से सुदूर गांव में खेल का मैदान बनाने, विभिन्न जगहों पर स्टेडियम बनाने का प्रयास किया जाएगा। सिन्हा ने कहा कि आज बिहार का पारंपरिक खेल गुल्ली डंडा, कंचा, गोल बैठा विलुप्त हो गया है जबकि यह बड़ी-बड़ी बीमारियों से बचाने का सशक्त माध्यम था। बाबा रामदेव से अनुरोध करेंगे कि पतंजलि संस्थान में गोल बैठा पर रिसर्च करें। बिहार के इस अद्भुत खेल को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिले तो स्वास्थ्य और योग की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होगा। अगले खेल महोत्सव में गोल बैठा की प्रतियोगिता भी आयोजित करेंगे, ताकि शहरीकरण के कारण अपने खेल को भूल चुके लोग एक बार फिर इसमें शामिल हों।