नालंदा: जिले के आधा दर्जन प्रखंडों के किसानों के लिए अच्छी खबर है. जल्द ही उनको अपने खेतों की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने लगेगा. इसके लिए जल संसाधन विभाग तिरहुत नहर से निकलने वाले आहरों-पइनों की गाद की सफाई करा रहा है.
डीआरडीए निदेशक संजय कुमार ने बताया कि जल संसाधन विभाग द्वारा आहरों-पइनों की उड़ाही का प्रस्ताव विभाग को मिला था, जिसके बाद विभाग द्वारा पहल करते हुए योजनाओं की रूपरेखा तैयार करने के बाद काम शुरू किया जा चुका है. इसके पूर्व जून में इन कार्यों का सर्वे कराया गया था. इसके बाद मनरेगा से 104 योजनाएं स्वीकृत की गई हैं. सभी योजनाएं जल संसाधन विभाग मोतिहारी के चकिया प्रमंडल, मुजफ्फरपुर और सरैया प्रमंडलों के तहत संचालित होंगी. इनमें मुजफ्फरपुर प्रमंडल के तहत सर्वाधिक 92 तो चकिया और सरैया प्रमंडलों के अंतर्गत 9 और 3 योजनाओं पर काम कराया जाना है, इनमें उन्हीं आहरों-पइनों की उड़ाही की जाएगी, जिनमें जल का प्रवाह 20 क्यूसेक या उससे अधिक होगा. इन योजनाओं के पूरे हो जाने पर किसानों के एक लाख हेक्टेयर खेतों की सिंचाई में आसानी होगी.
औसत से कम बारिश और सामान्य से कम तापमान ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. 10 तक सामान्यत: 150 एमएम बारिश होनी चाहिए, जबकि 120.2 एमएम ही वर्षापात हुआ है. दूसरी ओर 35 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान धान के विकास के लिए अनुकूल नहीं है, जबकि पिछले एक सप्ताह से लगातार सामान्य से तीन डिग्री कम तापमान रह रहा है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. गुलाब सिंह ने बताया कि औसत से कम बारिश और सामान्य से कम तापमान बेहतर उपज की संभावना को कम कर देता है. 30 जून तक इस वर्ष काफी कम बारिश हुई थी. इस कारण महज पांच प्रतिशत खेतों में अगात धान की बुआई हो पाई थी, जबकि बिचड़ा गिराने का काम भी केवल 65 फीसदी तक सीमित रहा था. दो के बाद हुई मानसूनी बारिश के बाद शेष 35 प्रतिशत बिचड़ा पिछात वेराइटी की गिराई गई थी.
वहीं कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार धान का आच्छादन 10 तक महज 60 प्रतिशत ही हो पाया है, जबकि इस समय तक अधिकतम आच्छादन 80 प्रतिशत तक हो जाना चाहिए था. ऐसे में बेहतर उपज की संभावना कम हो गई है.