मुजफ्फरपुर: दिल्ली के मोतीनगर में केवल कैंसर ही नहीं, 140 किस्म की नकली दवाओं का निर्माण कर उसे देश स्तर पर मंहगी कीमत पर बेचने का रैकेट चल रहा है. जुड़ाव की आशंका पर मुजफ्फरपुर के दवा व्यवसायी जांच की रडार पर हैं.
मामले में मुजफ्फरपुर के आदित्य कृष्ण की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में आए तथ्यों के आधार पर अब शहर में ड्रग्स इंस्पेक्टरों की टीम कार्रवाई में जुट गई है. कई बड़े निजी नर्सिंगहोम में मंहगी दवाओं की शीशियों के निष्पादन के बजाय इसे नकली दवा निर्माण से जुड़े रैकेट तक पहुंचाया जा रहा था. बताया गया कि ड्रग्स निरीक्षकों की टीम इस मामले की जांच भी गोपनीय ढंग से कर रही है. पता लगाया जा रहा है कि नर्सिंगहोम के कचरों के निष्पादन की क्या प्रक्रिया है. जब्त दवाओं के सैंपल की दिल्ली क्राइम ब्रांच ने दिल्ली एम्स में जांच कराई है. दवाओं की जांच से स्पष्ट हुआ है कि कैंसर ही नहीं, 140 किस्म की नकली दवाएं बनाई जा रही थीं.
आरोपित की दुकान व आवास की हुई जांच: शहर के आरोपित दवा दुकानदार के प्रतिष्ठान में औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने जांच की. इसमें कई संदिग्ध श्रेणी की दवाएं मिली हैं, जिनका बिल अधिकारियों ने दुकान संचालक से मांगा है. दुकान के अलावा आरोपित के आवास पर भी जांच की गई. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आगे भी जांच चलती रहेगी. दिल्ली में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की नकली दवाओं के बेचने का तार मुजफ्फरपुर से जुड़ गया है. इस मामले में इस रैकेट से जुड़े मुजफ्फरपुर के आदित्य कृष्ण को दिल्ली क्राइम ब्रांच की पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है. आरोपित की नगर थाना इलाके में होलसेल दवा दुकान है. नकली दवा बेचने वाले आरोपित कैंसर के इंजेक्शन के नाम पर फर्जीवाड़ा करते हैं.
इलाज के लिए आए लोगों को भी दी थी नकली दवाएं: नकली कैंसर की दवा बेचने वाले गिरोह के एक सदस्य पर इलाज कराने दिल्ली आए करीब दर्जनों लोगों को भी नकली दवा देने का आरोप है. दरअसल यह आरोपी मेडिकल टूरिज्म की कंपनी चलाता है. इसलिए उसके पास बाहर से आने वाले लोगों की ब्योरा रहता था.वह उनके सीधे संपर्क में रहता था और उन्हें सस्ती दर पर दवाइयां मुहैया कराने का झांसा देता था. आरोपी नीरज चौहान मूलरूप से यूपी के बागपत का निवासी है. वह बाहर से आने वाले लोगों को नकली कीमोथेरेपी इंजेक्शन सप्लाई करता था और अपने चचेरे भाई तुषार के जरिए बाजार में भी इसकी सप्लाई करता था. इसने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है. इसके अलावा इसने एक निजी संस्थान से मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन का वोकेशनल कोर्स भी किया है. वह वर्ष- 06 से 22 तक दिल्ली और गुरुग्राम के प्रतिष्ठित अस्पतालों के ऑन्कोलॉजी विभाग में मैनेजर के तौर पर काम कर रहा था.