मुजफ्फरपुर: ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में कम उम्र में बांझपन की बीमारी हो रही है. मेंसुरेशन हाईजीन नहीं होने के कारण महिलाओं में गर्भधारण की समस्या हो रही है. ज्यादातर ग्रामीण महिलाओं में यह समस्या देखी जा रही है. गर्भधारण नहीं होने पर जांच के दौरान यह सामने आया है.
आईवीएफ सेंटर चला रही डॉ. वीएन शर्मा ने बताया कि ज्यादा गंभीर लोगों को आईवीएफ करना पड़ रहा है. उनके सेंटर में हर महीने 10 से 12 मरीजों का आईवीएफ करना पड़ता है. डॉक्टरों ने बताया कि शहर में चलने वाले विभिन्न सेंटर में हर महीने औसतन 50 दंपती आईवीएफ करा रहे हैं.
डॉ. शर्मा ने बताया महिलाओं के साथ पुरुषों में भी स्पर्म काउंट जांच में कम मिल रहे हैं. पुरुषों में स्पर्म काउंट की सामान्य स्थिति 15 मिलियन होती है, लेकिन जांच में पांच मिलियन स्पर्म काउंट मिल रहे हैं. कुछ ऐसे भी मरीज हैं जिनमें स्पर्म काउंट एक लाख मिलियन तक मिल रहे हैं. जिन पुरुषों में स्पर्म काउंट कम है उनकी उम्र 30 से 35 वर्ष तक है.
प्रदूषित खाने से बढ़ रहा जीनो एस्ट्रोजन हार्मोन: स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रेरणा सिंह ने बताया कि प्रदूषित खाने से महिलाओं में जीनो एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ रहा है. इससे महिलाओं में अंडा नहीं फूट रहा है. खानपान पर भी प्रदूषण का असर पड़ रहा है. हमारे पास कई मरीज आ रहे हैं जिनमें यह समस्या रहती है. महिलाओं में इस हार्मोन के बढ़ जाने से माहवारी की भी समस्या हो रही है. इससे बचने के लिए लगातार कसरत की जरूरत होती है. कसरत करने से शरीर की गंदगी बाहर निकल जाती है.
कार्बन मोनो ऑक्साइड से नहीं बन पाता प्राकृतिक हार्मोन: स्त्रत्त्ी रोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा आलोक ने बताया कि प्रदूषण में मुख्य तौर पर कार्बन मोनो ऑक्साइड शरीर के सभी हिस्सों को प्रभावित करती है. इस हानिकारक तत्व से शरीर में पिट्यूटरी ग्लैंड से प्राकृतिक तरीके हार्मोन नहीं निकल पाता है. इससे महिलाओं की ओवरी पर बुरा असर पड़ रहा है. पुरुषों में स्पर्म भी इसी के कारण खराब हो रहा है. एक अन्य आईवीएफ के विशेष डॉ. बीएन शर्मा ने बताया कि प्रदूषण से स्पर्म काउंट कम होने के केस आ रहे हैं.