Muzaffarpur: शहर में हर दिन जरूरतमंद 15 यूनिट खून ब्लैक मार्केट से खरीद रहे
मुजफ्फरपुर: शहर में हर दिन जरूरतमंद 15 यूनिट खून ब्लैक मार्केट से खरीद रहे हैं. शहर में चल रहे ब्लड बैंक में हर दिन 150 यूनिट की खपत होती है, लेकिन आपूर्ति 135 यूनिट ही होती है. सिर्फ मेडिकल कॉलेज में ही हर दिन 40 यूनिट की खून की जरूरत होती है लेकिन यहां 25 यूनिट खून की ही आपूर्ति रहती है. 15 यूनिट खून की हर दिन यहां कमी रहती है. सदर अस्पताल में भी यही स्थिति है.
शहर में नौ ब्लड बैंक चलते हैं लेकिन सरकारी पोर्टल पर छह ही रजिस्टर्ड हैं. पिछले दो महीनों में सरकारी अस्पतालों में रक्तदान नहीं होने से खून के स्टॉक में कमी आई है. एसकेएमसीएच से थैलेसीमिया व कैंसर के मरीजों को विशेष तौर पर खून दिया जाता है. एसकेएमसीएच में 140 थैलेसीमिया के मरीज रजिस्टर्ड हैं. एसकेएमसीएच में अभी 27 यूनिट ही खून बचा हुआ है.
बिना हीमोग्लोबिन की जांच किए चढ़ाया जा रहा खून सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों में खून चढ़ाने में मानकों का पालन भी नहीं किया जा रहा है. मानक के अनुसार किसी भी डोनर का खून चढ़ाने के पहले उसके हीमोग्लोबिन की जांच करना अनिवार्य है. अगर डोनर का हीमोग्लोबिन 12 प्वाइंट है तभी उससे खून लिया जा सकता है. इसके अलावा खून देने से पहले डोनर की काउंसिलिंग भी करनी है. अस्पतालों में डोनर की काउंसिलिंग भी नहीं की जा रही है. यहां आने वाले डोनर का खून बगैर किसी जांच के चढ़ाया जा रहा है.
आयरन का इंजेक्शन लगाकर बढ़ा लेते हैं हीमोग्लोबिन स्तर: अस्पतालों से जुड़े लोगों ने बताया कि खून के अवैध धंधे में शामिल कई लोग आयरन का इंजेक्शन लगाकर अपना हीमोग्लोबिन बढ़ा रहे हैं. फिजिशियन डॉ सीके दास ने बताया कि आयरन बढ़ाने के लिए जो इंजेक्शन लगाया जाता है, उससे खून देने वाले और खून लेने वाले दोनों को नुकसान होता है. ज्यादा आरयन का इंजेक्शन लेने से लीवर पर असर पड़ता है और ऐसे लोगों का खून जिस मरीज को चढ़ाया जा रहा है उसके शरीर में खून के सभी तत्व नहीं मिल पाते हैं.