मुजफ्फरपुर: मुशहरी के नया गांव में मो. इस्लाम समेत करीब एक दर्जन लोगों के नाम पर फर्जी ढंग से लोन उठा लेने के मामले में पर्दे के पीछे से खेल कर रही बड़ी मछली पर कार्रवाई होगी. कोर्ट ने लोन फर्जीवाड़े में केवल बिचौलिए या वसूलीकर्ता ही नहीं, लोन देने वाली कंपनियों के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच का निर्देश दिया है. इसमें एक की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्देश दिया है. जिले में लोन फर्जीवाड़े की बड़े पैमाने पर महिलाएं शिकार हुई हैं. मोतीपुर इलाके में महिलाओं के नाम पर फर्जी ढंग से 50 लाख रुपए से अधिक का लोन उठा लिया गया है और महिलाओं को इसकी भनक तक नहीं है. जब वसूलीकर्ता दरवाजे पर पहुंच रहे तब उन्हें जानकारी हो रही है. लोन फर्जीवाड़े की शिकार महिलाओं का कहना है कि राशन उठाव, सामाजिक सुरक्षा पेंशन आदि पंचायत स्तर के कई कार्यों में आधार कार्ड का उपयोग होता है. आशंका है कि उन जगहों से आधार कार्ड की छाया प्रति लेकर लोन उठाव कर लिया जा रहा है. इसकी शिकायत एसएसपी कार्यालय में की गई, पर फर्जीवाड़े पर कार्रवाई नहीं हो सकी है. पुलिस अब तक 30 से अधिक महिलाओं के नाम पर लोन उठाने वालों को नहीं पकड़ा है.
कर्ज के जाल में फंसाने के खिलाफ धरना: बिहार कर्जमुक्ति मिशन के तत्वावधान में माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों द्वारा कर्ज के मकरजाल में फंसाकर महिलाओं का मानसिक एवं शारीरिक शोषण की वजह से हो रही आत्महत्या के खिलाफ धरना दिया गया. अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता सुगंध कुमार ने की. मौके पर दीनबंधु क्रन्तिकारी ने कहा कि बाहर की कंपनियां बिहार की करोड़ों महिलाओं को कर्ज के मकरजाल में फंसाकर अवैध रूप से वसूली करती है. मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना की वजह से महिलाएं आत्महत्या कर रही हैं. आनंद पटेल एवं माले नेता उदय चौधरी ने कहा कि सभी कंपनियां कम ब्याज का वादा कर 40 से 50 तक ब्याज वसूलती हैं, जो एक प्रकार की गुण्डागर्दी है.