Munger: 17 लाख की आबादी वाले मुंगेर जिले में एनएच किनारे एक भी ट्रामा सेंटर नहीं
मुंगेर: सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए मरीज इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचते हैं, लेकिन यहां उनका समुचित इलाज नहीं हो पाता है. बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किए जाने पर कई बार घायल की मौत रास्ते में हो चुकी है. करीब 17 लाख की आबादी वाले मुंगेर जिले में एनएच किनारे एक भी ट्रामा सेंटर नहीं है.
जबकि एनएच पर चलने वाली तेज रफ्तार गाड़ियों और सड़क दुर्घटना को देखते हुए प्रति 50 किलोमीटर पर एक ट्रामा सेंटर बनाए जाने का प्रावधान है. परंतु मोकामा को छोड़ दें तो मुंगेर से लेकर लखीसराय तक दूसरी ओर जमुई और खगड़िया तक ट्रामा सेंटर एनएच किनारे नहीं है. ऐसे में सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल मरीज इलाज कराने अस्पताल तो पहुंचते हैं, लेकिन उनका समुचित उपचार नहीं हो पाता. सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों को सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर उपचार के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है. जबकि जिले में प्रति वर्ष सड़क दुर्घटना में 0 से अधिक घायल मरीज इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचते हैं.
सड़क दुर्घटना में घायलों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष जनवरी से 15 तक 187 घायल इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंच चुके हैं. इनमें से 150 से अधिक मरीजों की गंभीर स्थिति को देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया है. जबकि 12 घायलों की मौत इलाज के लिए हायर सेंटर ले जाने के दौरान हो चुकी है. बता दें कि सदर अस्पताल में आर्थो सर्जन रहने के बावजूद दुर्घटना में हड्डी टूटे मरीज का ऑपरेशन भी नहीं हो पाता है. जबकि हड्डी के ऑपरेशन के लिए 10 लाख की लागत से खरीदी गई सीआर्म मशीन सदर अस्पताल की शोभा बढ़ा रही है. सदर अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर में करीब 05 वर्षों से सीआर्म मशीन रखा पड़ा है. लेकिन ओटी टेबल के अभाव में आज तक सीआर्म मशीन से एक भी घायल का ऑपरेशन नहीं हो पाया है.
सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को त्वरित उपचार मिले इसके लिए एनएच किनारे प्रति 50 किलोमीटर पर ट्रामा सेंटर खोलने का प्रावधान है. जिले में बढ़ती सड़क दुर्घटना को देखते हुए एनएच किनारे ट्रामा सेंटर खोलने के लिए विभाग को पत्र लिखा जाएगा. ऑपरेशन थियेटर में रखे पड़े सीआर्म मशीन का भी वह अवलोकन कर आर्थो सर्जरी अस्पताल में कराने का प्रयास करेंगे.
-डा. विनोद कुमार सिन्हा, सिविल सर्जन, मुंगेर.