Munger: गोल्डन कार्ड धारक के मुफ्त इलाज के लिए नर्सिंग होम का चयन किया गया
मुंगेर: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना प्रशासनिक उदासीनता के कारण जिला में शिथिल पड़ता जा रहा है. करीब 45 लाख लोगों के गोल्डन कार्ड की जगह अभी तक करीब ग्यारह लाख को ही गोल्डन कार्ड बना है.वहीं जिला में गोल्डन कार्ड धारक के मुफ्त इलाज के लिए महज नर्सिंग होम का चयन किया गया है. जबकि अधिक से अधिक नर्सिंग होम का चयन करना है.
हालत यह है कि नर्सिंग होम की जांच के बाद भी महीनों से फाइल इंचार्ज प्रशासनिक अधिकारी के यहां पड़ा हुआ है. जिसके चलते आयुष्मान विभाग में करीब आधा दर्जन जाने माने नर्सिंग होम का आवेदन लंबित है .
पांच लाख तक के इलाज की मिलनी है सुविधाप्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत गोल्डन कार्ड धारक को सभी प्रकार की बीमारी की पांच लाख तक मुफ्त में इलाज की सुविधा चयनित नर्सिंग होम में मिलना है. मगर स्थिति यह है जिला में अभी तक करीब नर्सिंग होम का चयन किया गया है. 45 लाख कार्ड बनाने की जगह अभी तक करीब ग्यारह लाख ही कार्ड बन सका है. जिसके कारण प्रधानमंत्री की यह महत्वाकांक्षी योजना जिला में शिथिल पड़ती जा रही है. इधर इस कार्य में शिथिलता बरतने के लिए लोगों का गोल्डेन कार्ड नहीं बन पाया है. गोल्डेन कार्ड नहीं बनने के लिए मरीजों को निजी नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ता है.
जिला स्तर पर बनायी गयी है कमेटी योजना के तहत जिला स्तर पर एक कमेटी बनाई गई है.जिसके अध्यक्ष डीएम होते हैं. इसके अतिरिक्त एक डॉक्टर व आयुष्मान के अधिकारी होते हैं. डीएम ने इस कमेटी में प्रशासन की ओर से एक सीनियर डिप्टी कलक्टर को इसके लिए प्रतिनियुक्त किया है. मगर यहां फाइल के निष्पादन की गति धीमी होने का खमियाजा मरीज को उठाना पड़ रहा है.
जानकर बताते हैं कि इस योजना में अधिकांश डॉक्टर इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं जिसको लेकर बार बार सिविल सर्जन के द्वारा डॉक्टर को इस योजना से जुड़ने का आग्रह किया जा रहा है. जिसके कारण कुछ डॉक्टरों का झुकाव इस योजना की ओर हुआ है. मगर प्रशासनिक उदासीनता के कारण फाइल लंबित है.
कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार सिंह ने बताया कि उनके स्तर पर फाइल के निष्पादन में विलंब नहीं की जाती है. प्रशासनिक स्तर पर नर्सिंग होम के चयन के पूर्व जांच की जाती है. जिसके बाद ही नर्सिंग होम का चयन होता है. इस प्रक्रिया में थोड़ा विलंब होता है.